भारत-चीन तनाव में कमी से इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण उद्योग में नई जान, विस्तार की तैयारी

भारत-चीन तनाव में कमी से इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण उद्योग में नई जान, विस्तार की तैयारी

भारत-चीन संबंधों में सुधार और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग का विस्तार

हाल ही में भारत और चीन के संबंधों में सुधार होने की खबर के साथ, भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण उद्योग में एक नई जान आई है। दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच तनाव में कमी ने न केवल व्यापारिक गतिविधियों को आसान बनाया है, बल्कि भारतीय बाजार में निवेश के नए रास्ते भी खोले हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में अग्रणी कंपनियां, जैसे कि Apple, Samsung और Lenovo, भारत में अपने प्रसार और नई उत्पादन इकाइयों की स्थापना की योजना बना रही हैं।

भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण उद्योग 2030 तक $500 बिलियन तक पहुंच सकता है। उद्योग के इसके तहत प्रमुख घटकों की मांग में भी भारी वृद्धि देखी जा रही है। इनमें विशेष रूप से पीसीबीए, लिथियम-आयन बैटरी, कैमरा मॉड्यूल, मैकेनिकल्स, डिस्प्ले, और पीसीबी शामिल हैं। इनकी वार्षिक वृद्धि दर 30% रहने का अनुमान लगाया गया है और इनके ही माध्यम से 2030 तक $139 बिलियन का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।

समर्थन योजनाओं की आवश्यकता

समर्थन योजनाओं की आवश्यकता

उद्योग में प्रमुख खिलाड़ी इसी का समर्थन करते हैं कि सरकार को पॉलीसी निरंतरता पर ध्यान देना चाहिए। इससे घरेलू उद्योग को मजबूती मिली रहेगी और निवेशक भारतीय बाजार को अधिक आकर्षक मानेंगे। यहां 'प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव’ (PLI) योजनाएं विशेष रूप से उभर कर आयी हैं। इन योजनाओं के माध्यम से घरेलू मूल्य संवर्धन 35-40% तक बढ़ाया जा सकता है, जो अभी 18% है। उद्योग द्वारा लगभग Rs 30,000-35,000 करोड़ लागत की PLI योजना का प्रस्ताव दिया गया है।

तकनीकी हस्तांतरण और कुशलता विकास

तकनीकी हस्तांतरण और कुशलता विकास

एक बड़ा फायदा जो संबंध सुधार के कारण हो सकता है, वह है चीनी कंपनियों से तकनीकी हस्तांतरण और कुशलता विकास। इससे भारत में उत्पादन इकाइयों की स्थापना में राह मुश्किल नहीं होगी। भारतीय उद्योग प्रमुखों ने इस दिशा में वीजा अनुमोदन के लिए भी तेजगति की मांग की है, जिससे चीनी कार्यपालिका को भारत में कार्य करना सरल हो सके।

उद्योग का भविष्य और अनुशासनिक दृष्टिकोण

उद्योग का भविष्य और अनुशासनिक दृष्टिकोण

ICEA के अध्यक्ष, पंकज मोइंद्रो बताते हैं कि इस उद्योग के विकास के लिए एक मिशन-मोड दृष्टिकोण की अत्यंत आवश्यकता है। एक स्पष्ट लक्ष्य और टाइमलाइन के साथ यदि काम किया जाए तो अगले पांच वर्षों में इस उद्योग का उत्पादन चार गुना तक बढ़ सकता है। आने वाले समय में वैश्विक राजस्व में भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग की हिस्सेदारी $900 बिलियन तक हो सकती है। यह बदलाव न केवल आर्थिक बल्कि तकनीकी और मानव संसाधन के विकास के लिए भी महत्वपूर्ण होगा।

इस प्रकार, भारत-चीन संबंधों में सुधार भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र के लिए आशा की नई किरण है। सही नीतिगत दिशा और वैश्विक मानकों की पालना से भारतीय कंपनियां अंतर्राष्ट्रीय बाजार में मजबूत स्थिरता हासिल कर सकती हैं।

  • Pooja Joshi

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15 टिप्पणि

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    Rupesh Sharma

    अक्तूबर 24, 2024 AT 05:07

    ये बात सच है कि भारत-चीन के रिश्ते सुधर रहे हैं, लेकिन हमें याद रखना चाहिए कि चीन कभी भी हमारे साथ ईमानदारी से नहीं खेलेगा। हमें अपनी तकनीक खुद बनानी होगी, बाहर से नहीं। अगर हम आज बैटरी और PCB बनाना सीख लेंगे, तो कल हम दुनिया के सबसे बड़े इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माता बन सकते हैं।

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    Jaya Bras

    अक्तूबर 24, 2024 AT 12:55

    PLI scheme? bhaiya yeh sab toh bas posters pe likhte hain, real me kuch nahi hota. 2020 se leke ab tak kya hua? kuch nahi. aur abhi bhi chalta hai ‘future potential’ ka game. lol

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    Arun Sharma

    अक्तूबर 24, 2024 AT 19:44

    इस विषय पर एक व्यापक विश्लेषण आवश्यक है। भारतीय उद्योग की संरचना में गहरी असमानताएँ मौजूद हैं, जिन्हें बिना समायोजित किए केवल विदेशी निवेश के आधार पर विकास संभव नहीं है। शिक्षा, अनुसंधान, और बुनियादी ढांचे की कमी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

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    Ravi Kant

    अक्तूबर 26, 2024 AT 06:18

    हम भारतीयों को अपनी संस्कृति में गहराई से जुड़े रहना चाहिए। चीन की तकनीक अच्छी है, लेकिन हमारी जमीन पर बनी चीजें हमारी हैं। अगर हम अपने छोटे उद्यमियों को सही तरीके से समर्थन दें, तो बड़ी कंपनियाँ खुद आ जाएँगी।

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    Harsha kumar Geddada

    अक्तूबर 28, 2024 AT 00:04

    यह सब बहुत अच्छा लग रहा है, लेकिन क्या हमने कभी सोचा है कि जब हम इलेक्ट्रॉनिक्स बना रहे हैं, तो हम असल में किसके लिए बना रहे हैं? क्या हम दुनिया के लिए बना रहे हैं या सिर्फ अपने विकास के लिए? क्या हम अपनी आत्मा को बेच रहे हैं जब हम चीनी तकनीक के साथ जुड़ रहे हैं? क्या हम वास्तव में आत्मनिर्भर हो रहे हैं, या बस अपने आप को धोखा दे रहे हैं? यह सवाल अभी भी खुला है।

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    sachin gupta

    अक्तूबर 29, 2024 AT 18:10

    PLI scheme? बस बातों का खेल है। मैंने एक छोटे से इंजीनियर को बात की थी, जो बता रहा था कि उसकी कंपनी को अभी तक 2% ही पेमेंट मिला है। बाकी बस बातें हैं। और फिर लोग कहते हैं ‘Make in India’

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    Shivakumar Kumar

    अक्तूबर 30, 2024 AT 15:53

    भाई ये बात तो बहुत अच्छी है, लेकिन देखो ना - अगर हम एक गाँव में एक छोटा सा बैटरी बनाने वाला बच्चा बना दें, तो वो भी दुनिया को बदल सकता है। हमें बड़े-बड़े नंबरों से नहीं, छोटे-छोटे कामों से शुरुआत करनी होगी। अगर एक दरवाज़ा खुल रहा है, तो हमें उसमें दस हाथ डालने की जरूरत नहीं - बस एक हाथ ठीक से डाल दो।

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    saikiran bandari

    अक्तूबर 31, 2024 AT 23:20

    PLI is a scam 2030 target is fantasy no one cares about PCBs or batteries we need jobs not graphs

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    Rashmi Naik

    नवंबर 2, 2024 AT 05:08

    PLI mechanism is not scalable due to structural inefficiencies in supply chain logistics and FDI policy fragmentation. The 35-40% value addition is statistically implausible without massive R&D infusion which is currently non-existent. Also, why are we assuming Chinese tech transfer is ethical?

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    Vishakha Shelar

    नवंबर 2, 2024 AT 11:57

    OMG I CRIED WHEN I READ THIS 😭😭😭 WHY NO ONE LISTENS TO US??? I TOLD YOU ALL THIS WOULD HAPPEN!! 😭😭😭

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    Ayush Sharma

    नवंबर 3, 2024 AT 07:57

    बहुत सारे आँकड़े हैं, लेकिन क्या कोई बता सकता है कि एक छोटे इंजीनियर को अभी कितना मिल रहा है? जो वास्तविक दुनिया में काम कर रहा है?

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    charan j

    नवंबर 4, 2024 AT 13:58

    बस एक नया ड्रीम बनाया है बिना किसी योजना के और फिर दुनिया को बता रहे हो कि तुम बड़े हो रहे हो

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    Kotni Sachin

    नवंबर 5, 2024 AT 07:39

    मैं इस विषय पर बहुत गहराई से सोचता हूँ। आपने बहुत अच्छा लिखा है, लेकिन क्या आपने ध्यान दिया कि भारत के शिक्षा प्रणाली में इंजीनियरिंग छात्रों को वास्तविक उत्पादन अनुभव नहीं मिलता? यह एक बहुत बड़ी खाई है, और इसे भरने के लिए हमें शिक्षा को फिर से डिज़ाइन करना होगा।

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    Nathan Allano

    नवंबर 5, 2024 AT 11:26

    मुझे लगता है कि ये सब बहुत अच्छा है, लेकिन हमें अपने छोटे उद्यमियों को भी ध्यान में रखना चाहिए। मेरा एक दोस्त एक छोटे से गाँव में PCB बनाता है, और उसे कोई सहारा नहीं मिल रहा। अगर हम इन लोगों को भी सही तरीके से जोड़ दें, तो ये बड़ा बदलाव आएगा।

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    Rupesh Sharma

    नवंबर 7, 2024 AT 03:44

    ये बात बिल्कुल सही है। मैंने एक छोटे गाँव के इंजीनियर के साथ बात की थी - उसने बताया कि उसके पास बैटरी बनाने का एक छोटा सा यंत्र है, लेकिन उसे वोल्टेज कंट्रोलर नहीं मिल रहा। अगर हम इन छोटे उद्यमियों को सप्लाई चेन में शामिल कर दें, तो ये बड़ा बदलाव आएगा।

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