ममता बनर्जी और शरणार्थियों को शरण देने का विवाद
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल ही के एक रैली में घोषणा की थी कि उनकी सरकार बांग्लादेश के हिंसा-प्रभावित लोगों को शरण देने के लिए तैयार है। उन्होंने इसे संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी संकल्प का अनुसरण करते हुए एक मानवता का कदम बताया। लेकिन उनकी इस घोषणा के बाद, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने उन पर गंभीर आरोप लगाए हैं और इसे 'घातक योजना' करार दिया है। बीजेपी का कहना है कि यह कदम ममता बनर्जी और उनकी पार्टी के द्वारा बांग्लादेश से अवैध आप्रवासियों को झारखंड में बसाने और वोट बैंक बनाने की चेष्टा है।
बीजेपी का रुख
बीजेपी के पश्चिम बंगाल के सह-प्रभारी अमित मालवीय ने ममता बनर्जी की इस घोषणा पर कड़ा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी को इस प्रकार की घोषणाएं करने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि शरणार्थियों से संबंधित मुद्दे पूरी तरह से केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। मालवीय ने ममता बनर्जी की दोहरी राजनीति की आरोप लगाया। उनका कहना है कि ममता बनर्जी ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के तहत बांग्लादेशी हिंदू शरणार्थियों को नागरिकता देने से मना किया था, लेकिन अब वही बांग्लादेशियों का स्वागत कर रही हैं।
मालवीय ने आरोप लगाया कि ममता बनर्जी और सरकार ने पहले ही पश्चिम बंगाल में अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों को बसाने का काम किया है और अब वे झारखंड को भी इसी तरह प्रभावित करना चाहते हैं। उन्होंने इसे सीधे तौर पर वोट बैंक की राजनीति करार दिया। मालवीय के अनुसार इस योजना का मकसद बांग्लादेश से आए अवैध प्रवासियों को वोट पाना और चुनावी फायदे उठाना है।
बांग्लादेश में हिंसा की स्थिति
बांग्लादेश में हाल ही में नौकरी कोटा के मुद्दे को लेकर हिंसा भड़की है। इस हिंसा में अब तक 40 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों घायल हो गए हैं। बांग्लादेश की सरकार ने हिंसा को काबू में लाने के लिए कर्फ्यू लगाया और सैन्य बलों को राजधानी ढाका के कई हिस्सों में तैनात किया। इस हिंसा और अशांति के चलते कई निर्दोष लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
शरणार्थियों को शरण देने का नैतिक कर्तव्य
ममता बनर्जी ने अपने संबोधन में कहा कि मानवता के आधार पर शरणार्थियों को शरण देना जरूरी है और यह संयुक्त राष्ट्र के शरणार्थी संकल्प के अनुसार है। उनकी इस घोषणा से विभाजनकारी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। जहां एक ओर उन्होंने मानवाधिकार की दृष्टि से सही कदम उठाने की कोशिश की है, वहीं दूसरी ओर इसे राजनीतिक लाभ उठाने का प्रयास माना जा रहा है।
राजनीतिक विवाद और आने वाली चुनौतियां
इस मुद्दे ने राजनीतिक माहौल को गर्मा दिया है। आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए यह विवाद और बढ़ सकता है। बीजेपी का आरोप है कि ममता बनर्जी शरणार्थियों के नाम पर अपनी राजनीतिक स्थिति मजबूत करना चाहती हैं। इसके विपरीत ममता बनर्जी के समर्थकों का कहना है कि बीजेपी केवल राजनीतिक रोटियां सेकने के लिए ऐसे आरोप लगा रही है।
इस विवाद के बीच, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि आने वाले समय में यह मामला किस दिशा में जाता है और दोनों पार्टियों के इस युद्ध में वास्तविक शरणार्थियों का क्या हश्र होता है।
द्वारा लिखित सुमेधा चौहान
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