समाज में महिलाओं की भूमिका और चुनौतियाँ
हर साल मनाया जाने वाला राष्ट्रीय महिला दिवस महिलाओं के समाज में अद्वितीय योगदान और चुनौतियों पर दृष्टि डालता है। इस बार की थीम 'समावेशिता की प्रेरणा' महिलाओं को उन क्षेत्रों में आगे बढ़ाने पर केंद्रित है, जहां उनकी भूमिका अभी भी सीमित है। उद्देश्य है कि समाज महिलाओं को उनके अधिकार दिलाएं और वेनिजिट के हर क्षेत्र में पूरी तरह से भाग ले सकें।
यह देखकर दुख होता है कि महिलाओं की भागीदारी में अभी भी कई बाधाएँ हैं। डिजिटल युग में भी महिलाओं का प्रतिनिधित्व कम है। यह अंतराल गहराता जा रहा है, जिसका आर्थिक प्रभाव पिछले दशक में 1 ट्रिलियन डॉलर्स तक पहुँच चुका है। अगर समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो यह संख्या 2025 तक 1.5 ट्रिलियन डॉलर्स तक पहुँच सकती है।
महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए उठाए जा रहे कदम
महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं। संगठनों को महिलाओं के प्रति समावेशी नीतियाँ अपनानी चाहिए, जैसे समावेशी भर्ती प्रक्रिया, नेतृत्व की भूमिकाओं में अवसर, और उचित परामर्श कार्यक्रम। इसके अलावा, डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देकर महिलाओं को ऑनलाइन सुरक्षित अनुभव देना आवश्यक है।
अधिकारियों और कम्पनियों से आग्रह है कि वे महिलाओं की उत्कृष्टता को पहचानें और उनके पेशेवर विकास को प्रोत्साहित करें। इसके साथ ही, वेतन समानता को भी सुनिश्चित करना होगा, ताकि कार्यस्थलों में नारियों को बराबर की भूमिका मिल सके।
समुदायिक प्रयास, आर्थिक सशक्तिकरण के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवाओं की आपूर्ति और समावेशी अवसंरचना को प्राथमिकता देते हैं। यह सभी कदम सुनिश्चित करते हैं कि महिला समाज में पूरी भागीदारी सक्षम हो सके। महिला दिवस हमें याद दिलाता है कि समावेशी नवाचार न केवल तकनीकी रूप में, बल्कि नीतियों में भी स्थिरता और समानता को बढ़ावा देता है।
द्वारा लिखित सुमेधा चौहान
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