जब साइक्लोन मोंठा बंगाल की खाड़ी में तेज़ होकर भारी तूफान बन गया, तो भारत के कई हिस्सों में अक्टूबर के अंत में ऐसी बारिश की भविष्यवाणी की गई, जिसे कोई भी मौसम विज्ञ नहीं देखा। भारतीय मौसम विभाग ने 27 अक्टूबर को जारी किए गए आधिकारिक विज्ञप्ति में चेतावनी दी है कि 28 अक्टूबर से 1 नवंबर तक, देश के 15 से अधिक राज्यों में अत्यधिक वर्षा, तूफानी हवाएं और बिजली की चमक का खतरा है। ये घटनाएं न केवल जीवन-मानव और संपत्ति के लिए खतरनाक हैं, बल्कि ऐसे क्षेत्रों में भी अनोखी हैं जहां अक्टूबर में बारिश का अर्थ ही नहीं होता — जैसे राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश।
साइक्लोन मोंठा का रास्ता: किस जगह क्या हो रहा है?
साइक्लोन मोंठा का अनुमान है कि यह 28 अक्टूबर की शाम या रात को काकीनाड़ा, आंध्र प्रदेश के तट पर जमीन छूएगा, जहां हवाएं 90-100 किमी/घंटा की रफ्तार से चलेंगी और अधिकतम 110 किमी/घंटा तक पहुंच सकती हैं। लेकिन इसका असर सिर्फ तटीय इलाकों तक सीमित नहीं है। दक्षिणी ओडिशा और छत्तीसगढ़ में 28 और 29 अक्टूबर को अत्यधिक वर्षा (21 सेमी से अधिक) की संभावना है। छत्तीसगढ़ में तूफानी हवाएं 60-70 किमी/घंटा की रफ्तार से चलेंगी — ऐसा अक्टूबर में अभी तक कभी नहीं हुआ।
गुजरात के सौराष्ट्र और कच्छ में 29 से 31 अक्टूबर तक बारिश जारी रहेगी, और 27 और 31 को अत्यधिक वर्षा की संभावना है। महाराष्ट्र के दक्षिणी कोंकण और गोवा में 27-29 अक्टूबर तक हल्की से मध्यम बारिश होगी, लेकिन कुछ जगहों पर भारी बारिश हो सकती है।
राजस्थान में अक्टूबर की बारिश: एक अनोखी घटना
यहां तक कि राजस्थान — जहां अक्टूबर में बारिश का अर्थ ही नहीं होता — उसके 23 जिलों में, जिनमें जयपुर भी शामिल है, बारिश की भविष्यवाणी की गई है। यह बात अजीब है क्योंकि पिछले 30 सालों में राजस्थान में अक्टूबर में औसतन 0.2 दिन ही बारिश वाले रहे हैं। लेकिन 2025 में, राज्य का औसत तापमान 30.6°C है, जो सामान्य 33.2°C से 2.6°C कम है। 28 अक्टूबर को जयपुर में तापमान 21-28°C के बीच रहने की उम्मीद है, और तूफानी बारिश के साथ आसमान बादलों से भरा होगा।
इसका मतलब क्या है? यह सिर्फ एक बारिश नहीं, बल्कि जलवायु परिवर्तन का एक संकेत है। वैज्ञानिकों का मानना है कि बंगाल की खाड़ी में गर्म पानी के बढ़ने के कारण तूफान अब अधिक तीव्र और अधिक दूर तक फैल रहे हैं। राजस्थान में अक्टूबर की बारिश, जो अब तक असंभव मानी जाती थी, अब एक नया नियम बन रही है।
उत्तर प्रदेश: पूर्वी हिस्सा बारिश में, पश्चिमी हिस्सा सूखा
उत्तर प्रदेश में यह बारिश एक अलग तरह की चुनौती पेश करती है। पूर्वी उत्तर प्रदेश — जिले जैसे बलिया और लखनऊ — को 28 अक्टूबर से 1 नवंबर तक बादलों की चाल और बिखरी हुई बारिश की उम्मीद है। हवाएं 30-40 किमी/घंटा की रफ्तार से चलेंगी। लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश में, जिसमें आगरा, गाजियाबाद और लखनऊ के पश्चिमी हिस्से शामिल हैं, 29 अक्टूबर को आसमान साफ रहेगा।
यह अंतर क्यों महत्वपूर्ण है? क्योंकि पिछले महीने, मथुरा और नोएडा में बारिश के कारण बाढ़ जैसी स्थिति बन गई थी। अब यदि पूर्वी उत्तर प्रदेश में फिर से भारी बारिश होती है, तो नदियों का स्तर फिर से बढ़ सकता है। यह एक ऐसा समय है जब एक जिले की बारिश दूसरे जिले के लिए आपदा बन सकती है।
दिल्ली, बिहार और दक्षिण भारत: छिपे खतरे
दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में अगले दो दिनों तक बादल छाए रहेंगे और हल्की बौछार हो सकती है — यह साइक्लोन के बाकी अवशेषों का प्रभाव है। बिहार में 27 अक्टूबर को महीने का सबसे ठंडा दिन आएगा, जब न्यूनतम तापमान 18°C तक गिर सकता है। यह तापमान अक्टूबर के औसत उच्चतम 31.2°C से काफी कम है।
दक्षिण भारत — केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक — को 27 से 30 अक्टूबर तक भारी बारिश की चेतावनी है। तेलंगाना और कर्नाटक में 28 अक्टूबर को अत्यधिक वर्षा की संभावना है। झारखंड को 30 अक्टूबर को भी प्रभावित होने की संभावना है।
आगे क्या होगा? विशेषज्ञ क्या कह रहे हैं?
भारतीय मौसम विभाग के महानिदेशक मृतंजय मोहपात्रा ने कहा, "जितना लंबा समय अवधि होगी, उतनी ही कम होगी भविष्यवाणी की सटीकता।" उन्होंने लाल और नारंगी चेतावनी पर विशेष ध्यान देने की सलाह दी, खासकर शहरी और पहाड़ी क्षेत्रों के लिए।
मौसम विशेषज्ञ डॉ. अनिल कुमार ने कहा, "यह अक्टूबर की बारिश केवल एक असामान्य घटना नहीं है। यह एक नए अध्याय की शुरुआत है — जहां गर्मी और नमी का असंतुलन तूफानों को देश के ऐसे हिस्सों तक ले जा रहा है जहां वे कभी नहीं आए।" वह यह भी बता रहे हैं कि राजस्थान के खेतों में अब बारिश के कारण फसलों को नुकसान हो सकता है, जबकि उत्तर प्रदेश के लोग अभी भी पिछले महीने की बाढ़ से उबर रहे हैं।
अगले कदम: क्या करें?
आप अपने घर और परिवार के लिए क्या कर सकते हैं? आधिकारिक वेबसाइट mausam.imd.gov.in पर जाकर अपने जिले की बारिश की भविष्यवाणी चेक करें। अगर आप तटीय या पहाड़ी क्षेत्र में रहते हैं, तो आपातकालीन सामग्री — बैटरी, पानी, दवाएं — तैयार रखें। बिजली के बादल आने पर बाहर न निकलें। और सबसे महत्वपूर्ण: अफवाहों पर भरोसा न करें। सिर्फ आधिकारिक स्रोतों से जानकारी लें।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क्या राजस्थान में अक्टूबर में बारिश सामान्य है?
नहीं, राजस्थान में अक्टूबर में बारिश अत्यंत दुर्लभ है। पिछले 30 वर्षों में औसतन सिर्फ 0.2 दिन बारिश वाले रहे हैं। लेकिन 2025 में, जयपुर और अन्य 22 जिलों में बारिश की भविष्यवाणी की गई है, जो जलवायु परिवर्तन का संकेत है। तापमान भी सामान्य से 2.6°C कम है, जो अनोखी है।
साइक्लोन मोंठा का प्रभाव कितने दिनों तक रहेगा?
साइक्लोन का प्रत्यक्ष प्रभाव 28 अक्टूबर को तट पर लगेगा, लेकिन इसके अवशेष 1 नवंबर तक उत्तर भारत तक फैलेंगे। उत्तर प्रदेश, बिहार और दिल्ली में बादल और हल्की बारिश जारी रहेगी। यह वर्षा अगले 5 दिनों तक लगातार रहेगी, खासकर पूर्वी और मध्य भारत में।
क्या इस बारिश से बाढ़ का खतरा है?
हां, खासकर उत्तर प्रदेश के पूर्वी जिलों में। पिछले महीने मथुरा और नोएडा में बाढ़ आई थी। अब अत्यधिक वर्षा के साथ गंगा और यमुना के उपनदियों का स्तर फिर से बढ़ सकता है। छत्तीसगढ़ और ओडिशा में भी नदियों का बाढ़ वाला खतरा है। आपातकालीन टीमों को तैयार रखा गया है।
क्या दिल्ली में भारी बारिश होगी?
नहीं, दिल्ली में भारी बारिश की उम्मीद नहीं है। लेकिन अगले दो दिनों में बादल छाए रहेंगे और हल्की बौछार हो सकती है। यह साइक्लोन मोंठा के बाकी अवशेषों का प्रभाव है। तापमान भी 2-3°C कम हो सकता है, जो अक्टूबर के लिए असामान्य है।
क्या इस बारिश से कृषि पर प्रभाव पड़ेगा?
हां, खासकर राजस्थान और गुजरात में। अक्टूबर में फसलें तैयार हो रही होती हैं, और अचानक बारिश से खेत बह जाएंगे। गेहूं और चना की फसलें नुकसान का शिकार हो सकती हैं। उत्तर प्रदेश में भी जल्दी बारिश ने रबी बीज बोने की योजना बिगाड़ दी है।
क्या यह घटना जलवायु परिवर्तन का संकेत है?
हां, यह एक स्पष्ट संकेत है। बंगाल की खाड़ी में समुद्र का तापमान पिछले 10 वर्षों में 1.5°C बढ़ गया है, जिससे तूफान अधिक तीव्र और दूर तक फैल रहे हैं। राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अक्टूबर की बारिश जैसी घटनाएं पहले कभी नहीं हुईं — यह जलवायु के नए नियमों का संकेत है।
द्वारा लिखित Pooja Joshi
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