विंबलडन 2024: टेलर फ्रिट्ज ने दो बार के ग्रैंड स्लैम फाइनलिस्ट अलेक्जेंडर ज़्वेरेव को चौंकाया

विंबलडन 2024: टेलर फ्रिट्ज ने दो बार के ग्रैंड स्लैम फाइनलिस्ट अलेक्जेंडर ज़्वेरेव को चौंकाया

विंबलडन 2024: टेलर फ्रिट्ज की शानदार वापसी

इस वर्ष के विंबलडन चैंपियनशिप के चौथे दौर में टेलर फ्रिट्ज ने क्रिकेट की दुनिया में हलचल मचा दी है। दो बार के ग्रैंड स्लैम फाइनलिस्ट अलेक्जेंडर ज़्वेरेव के खिलाफ खेलते हुए फ्रिट्ज ने दो सेट के घाटे से मुकाबला जीतकर एक अविस्मरणीय वापसी की। मैच के शुरुआती दौर में ज़्वेरेव ने 6-4 और 6-7 (4) के स्कोर से बढ़त बना ली थी।

हालांकि, फ्रिट्ज ने अपनी मानसिक और शारीरिक ताकत का परिचय देते हुए 6-4, 7-6 (3) और 6-3 के सेटों में लगातार जीत दर्ज की। इस जीत के साथ ही फ्रिट्ज अपने करियर के सर्वश्रेष्ठ ग्रैंड स्लैम प्रदर्शन की बराबरी कर चुके हैं।

फ्रिट्ज का अब तक का सफर

टेलर फ्रिट्ज का यह सफर किसी प्रेरणादायक कहानी से कम नहीं है। उन्होंने अपने करियर में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं, लेकिन इस मुकाम तक पहुंचना उनकी मेहनत और दृढ़ संकल्प का नतीजा है। 2022 में भी फ्रिट्ज ने विंबलडन के क्वार्टर फाइनल तक का सफर तय किया था, जहां उनका मुकाबला 22 बार के मेजर चैंपियन राफेल नडाल से हुआ था।

इस बार ज़्वेरेव पर जीत दर्ज करने के बाद, फ्रिट्ज अब इतालवी खिलाड़ी लोरेन्ज़ो मुसेट्टी का सामना करने जा रहे हैं। मुसेट्टी के खिलाफ यह मुकाबला भी फ्रिट्ज के लिए आसान नहीं होगा, लेकिन उनकी इस जीत ने विश्वास में बढ़ोतरी की है।

अमेरिकी टेनिस खिलाड़ियों की नई उमंग

फ्रिट्ज की इस ऐतिहासिक जीत ने अमेरिकी टेनिस फैंस को भी एक नई उम्मीद दी है। फ्रिट्ज और उनके साथी अमेरिकी खिलाड़ी टॉमी पॉल, दोनों ही 2000 के बाद पहली बार ग्रैंड स्लैम के लास्ट एट में पहुंचे हैं। अमेरिकी टेनिस में यह एक नई उमंग और जोश का संचार कर रहा है।

फ्रेंच ओपन में कार्लोस अल्कारज़ के खिलाफ रनर-अप रहे ज़्वेरेव एक बार फिर से हार का सामना कर रहे हैं। 2020 के अमेरिकी ओपन में भी वह डॉमिनिक थिएम के खिलाफ फाइनल हार चुके थे। ज़्वेरेव के इस संघर्ष के दौर में फ्रिट्ज की जीत से अमेरिकी टेनिस को एक नई पहचान मिली है।

प्रेरक संघर्ष और अद्वितीय प्रदर्शन

फ्रिट्ज का दो सेट के घाटे से वापसी करना इस वर्ष के विंबलडन में 11वीं बार देखा गया है। यह आंकड़ा इस साल के इस टाईटल के इतिहास में सबसे ज्यादा बार देखा गया है। यह सिर्फ फ्रिट्ज की मेहनत और लगन को ही दर्शाता है, बल्कि टेनिस के खेल में अद्वितीय संघर्ष की प्रेरक कहानियों को भी उजागर करता है।

फ्रिट्ज ने इस मुकाबले के बाद अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि यह उनके करियर का सबसे महत्वपूर्ण पल है और वह इसका पूरा आनंद ले रहे हैं।

आगे की राह

लोरेन्ज़ो मुसेट्टी के खिलाफ क्वार्टर फाइनल मुकाबला निश्चित रूप से एक दिलचस्प मुकाबला होने वाला है। फ्रिट्ज ने दिखा दिया है कि वह किस मानसिक और शारीरिक मजबूती के साथ खेलते हैं। वह अपने खेल में निरंतर सुधार और मेहनत के कारण आज इस मुकाम पर पहुंचे हैं।

फ्रिट्ज और उनके समर्थक इस जीत को लेकर काफी उत्साहित हैं और आगे भी ऐसे ही अद्वितीय प्रदर्शन की उम्मीद कर रहे हैं। फ्रिट्ज का यह सफर बाकी टेनिस खिलाड़ियों के लिए भी प्रेरणा स्रोत बन सकता है।

  • Pooja Joshi

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11 टिप्पणि

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    Vijay Kumar

    जुलाई 12, 2024 AT 04:27

    फ्रिट्ज ने दो सेट पीछे होकर भी जीत ली, ये टेनिस की असली रूह है।

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    Abhishek Rathore

    जुलाई 13, 2024 AT 04:27

    इतनी मेहनत के बाद जीतना कोई आश्चर्य नहीं। जब तक दिल दौड़ रहा है, तब तक कुछ भी संभव है।

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    Rupesh Sharma

    जुलाई 14, 2024 AT 00:58

    ये वापसी देखकर लगा जैसे कोई बच्चा गिरा और फिर खुद को उठाकर दौड़ गया। फ्रिट्ज की लगन देखकर लगता है कि असली जीत तो मेहनत में है, न कि स्कोर में।

    हर बार जब वो गिरता है, तो उसकी आंखों में एक अलग ही चमक होती है। ज़्वेरेव ने तो फाइनल तक पहुंच लिया, लेकिन फ्रिट्ज ने अपने अंदर के डर को हरा दिया।

    अमेरिकी टेनिस की नई पीढ़ी अब बस बड़े खिलाड़ियों के नाम नहीं, बल्कि उनके दिमाग की लचीलापन और जिद से चल रही है।

    कोई नया टॉमी पॉल, कोई नया फ्रिट्ज - ये सब एक नए दौर की शुरुआत है।

    मैंने कभी नहीं सोचा था कि विंबलडन पर अमेरिकी खिलाड़ी इतना जोश दिखाएंगे।

    ये जीत सिर्फ एक मैच नहीं, ये एक संदेश है कि बड़े नाम नहीं, बड़ा दिल चाहिए।

    ज़्वेरेव तो बहुत अच्छा खिलाड़ी है, लेकिन फ्रिट्ज के दिमाग की लचीलापन ने उसकी ताकत को तोड़ दिया।

    मैं भी अपने काम में इतनी मेहनत करूं, तो शायद एक दिन मैं भी अपने अंदर के ज़्वेरेव को हरा दूं।

    ये टेनिस नहीं, ये जीवन का एक नमूना है।

    जब तक तुम खड़े रहोगे, तब तक तुम हारे नहीं।

    फ्रिट्ज के बारे में सुनकर लगता है कि असली चैंपियन वो होते हैं जो गिरकर भी उठ जाएं।

    ये जीत उनके पूरे देश के लिए एक नया आदर्श बन गई है।

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    Harsha kumar Geddada

    जुलाई 15, 2024 AT 09:55

    फ्रिट्ज की ये वापसी सिर्फ एक टेनिस मैच नहीं, ये एक दर्शन है - जीवन में जब तक तुम अपने अंदर के आत्मविश्वास को नहीं खोते, तब तक बाहर की हार तुम्हें नहीं मार सकती।

    ज़्वेरेव के पास तकनीक थी, टेक्निकल परफेक्शन था, लेकिन फ्रिट्ज के पास वो अज्ञात शक्ति थी जो लोग इसे 'मन की लड़ाई' कहते हैं।

    जब दुनिया ने उसे फेल करने के लिए बहुत सारे बाधाएं बना दीं, तो उसने उन्हें सीढ़ियां बना लीं।

    ये वापसी की कहानी तो बस टेनिस की नहीं, ये उन सब की है जो दुनिया के दबाव में घुल रहे हैं।

    क्या तुमने कभी सोचा कि जब फ्रिट्ज ने दूसरा सेट खोया, तो उसके मन में क्या चल रहा था? शायद उसने अपने बचपन के दिनों को याद किया था - जब वो एक छोटे से टेनिस कोर्ट पर अकेले बॉल लेकर खेलता था।

    हर एक स्विंग उसके दर्द का प्रतीक था, हर एक रिटर्न उसके सपनों का प्रमाण था।

    ये जीत ने साबित कर दिया कि बड़े नाम नहीं, बड़े दिल चाहिए।

    अगर तुम्हारे अंदर एक छोटा सा जुनून है, तो उसे छोड़ दो। फ्रिट्ज ने उसे नहीं छोड़ा।

    हम सब अपने अंदर एक फ्रिट्ज बनने की कोशिश करते हैं, लेकिन क्या हम उसके जैसे गिरने के बाद उठने की हिम्मत रखते हैं?

    ये टेनिस नहीं, ये एक धर्म है - जिद का धर्म।

    जब तुम एक बार अपने अंदर के डर को हरा देते हो, तो दुनिया के सारे ज़्वेरेव तुम्हारे लिए बस एक बॉल बन जाते हैं।

    फ्रिट्ज ने दिखाया कि असली जीत तो वो होती है जब तुम खुद को खुद से बेहतर बना लेते हो।

    ये जीत एक अमेरिकी की नहीं, ये एक मनुष्य की जीत है।

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    Shivakumar Kumar

    जुलाई 15, 2024 AT 16:11

    फ्रिट्ज के जैसे खिलाड़ी आते हैं तो लगता है जैसे कोई रात के अंधेरे में एक दीया जला दे।

    उसकी हर बॉल एक कविता है, हर दौड़ एक गीत है।

    मैंने कभी नहीं सोचा था कि एक खिलाड़ी इतना भावुक बन सकता है।

    वो नहीं खेल रहा, वो गाना गा रहा है।

    जब वो अपनी रैकेट उठाता है, तो लगता है जैसे वो अपने दिल को भी बाहर निकाल रहा है।

    उसकी जीत ने मुझे याद दिलाया कि हर इंसान के अंदर एक जीतने की ताकत होती है - बस उसे जगाने की हिम्मत चाहिए।

    अगर तुम एक बार भी खुद को छोटा समझ गए, तो दुनिया भी तुम्हें छोटा समझने लग जाती है।

    फ्रिट्ज ने अपने आप को बड़ा बनाया।

    और इसलिए उसने दुनिया को भी बड़ा बना दिया।

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    saikiran bandari

    जुलाई 16, 2024 AT 14:22
    फ्रिट्ज ने जीता लेकिन ज़्वेरेव ने बेहतर टेक्निक दिखाया
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    Rashmi Naik

    जुलाई 17, 2024 AT 21:24
    fritz ka performance was like a neural net training on resilience lmao the loss function was literally his ego
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    Ravi Kant

    जुलाई 18, 2024 AT 05:25

    भारत में भी ऐसे खिलाड़ी आएं, तो हम भी विंबलडन का खिताब जीत लेंगे।

    हमारे बच्चे टेनिस के बजाय क्रिकेट पर फोकस करते हैं।

    अगर हम टेनिस को भी उतना ही समर्पण दें, तो एक दिन हमारा खिलाड़ी भी इस तरह दुनिया को हैरान कर देगा।

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    sachin gupta

    जुलाई 18, 2024 AT 20:34

    फ्रिट्ज की जीत? बहुत बढ़िया।

    लेकिन ज़्वेरेव ने भी बहुत अच्छा खेला।

    अगर तुम इसे बड़ी बात बना रहे हो, तो तुम शायद टेनिस के बारे में ज्यादा नहीं जानते।

    मैंने तो 2018 में रोजर के फाइनल को देखा था - वो तो असली कला थी।

    फ्रिट्ज अभी तो बच्चा है।

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    Rajeev Ramesh

    जुलाई 20, 2024 AT 02:08

    मैं अपने छात्रों को यह कहानी सुनाता हूं - जब तक तुम अपने आप को नहीं छोड़ते, तब तक दुनिया तुम्हें नहीं हरा सकती।

    फ्रिट्ज के जैसे खिलाड़ी ही वास्तविक शिक्षक होते हैं।

    मैंने अपने कक्षा में इस मैच का वीडियो दिखाया।

    एक छात्र ने कहा - अगर वो दो सेट खोकर भी जीत गया, तो मैं एक बार फेल हो गया, तो अब क्यों नहीं दोबारा कोशिश करूं?

    ये टेनिस नहीं, ये जीवन का एक पाठ है।

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    Arun Sharma

    जुलाई 20, 2024 AT 12:17

    ये सब बहुत भावुक है, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि फ्रिट्ज का एसेवेज रेट अभी भी टॉप 20 में नहीं है।

    उसकी विनिंग शॉट्स की दर भी बहुत कम है।

    ये जीत सिर्फ एक अस्थायी अवसर था।

    अगले टूर्नामेंट में वो फिर से बाहर हो जाएगा।

    आप लोग भावनाओं से निर्णय ले रहे हैं।

    टेनिस एक विज्ञान है, न कि एक कविता।

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