जब अक्टूबर 2025 का पहला दिन आएगा, तो भारतभर में एक श्रृंखला के पवित्र त्यौहार ध्वनि और रोशनी से गूंज उठेंगे। इस महीने की शुरुआत महा नवमीभारत से होती है, जो नवरात्रि के नौ दिनों का शिखर है और एक ही समय में कई क्षेत्रीय पूजन‑समारोह भी चल रहे होते हैं।
दुर्गा पूजा से दशहरा तक का सफ़र
दुर्गा पूजा, जो दुर्गा पूजाभारत के रूप में आयोजित होती है, 27 सितंबर से 2 अक्टूबर तक विस्तृत है। इस दौरान अष्टमी हवन, नवमी होम और विभिन्न क्षेत्रीय अनुष्ठान चलाते हैं। 2 अक्टूबर को विजया दशमी (दशहरा)अयोध्या मनाया जाता है, जहाँ राम ने रावण पर विजय प्राप्त की थी। यह वह दिन है जब घर‑घर में रोशनी, पटाखे और पूजा‑पाठ की थिरकन होती है।
करवा चौथ और उसका सामाजिक महत्व
अगली ओर, 10 अक्टूबर को करवा चौथभारत का उत्सव विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पति की दीर्घायु के लिये व्रत रखने के रूप में मनाया जाता है। सूर्यास्त से पहले चंद्रमा देख कर व्रत तोड़ते समय, दाउँ-भाई‑बहन के बीच के नाते को उजागर किया जाता है। इस दिन का सामाजिक प्रभाव बहुत गहरा है; बाजारों में सॉरी‑सजावट, विशेष भोजन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की भरमार रहती है।
धनतेरस, दीवाली और लड्डू की रात्रि
धनतेरस 18 अक्टूबर (शनिवार) को धनतेरसभारत के रूप में आता है, जो घर‑घर में नई वस्तुएँ खरीदने और लक्ज़री के लिये शुभ माना जाता है। इसके दो दिन बाद, 20 अक्टूबर को दीवाली (लक्ष्मी पूजा)भारत का परिक्रमा होता है। लक्ष्मी‑पूजा में दीयों, मोमबत्तियों और फिरोज़ी रंग की रौशनी से घर को सजाया जाता है, जिससे अंधकार पर प्रकाश की जीत का प्रतीक बनता है।
छठ पूजा और गुजरात नववर्ष
उत्तर भारत में 27 अक्टूबर को छठ पूजाउत्तरी भारत का पावन उत्सव मनाया जाता है। सूर्य देव की अर्घ्य लेने के लिये सूर्योदय 6:10 वेजे और सूर्यास्त 6:02 वेजे पर अनुक्रमित रिवाज़ होते हैं। दो‑तीन दिन बाद, 22 अक्टूबर को गुजरात नववर्षगुजरात की धूमधाम होती है, जहाँ द्वितीय तिथि के अनुसार शाम 8:16 बजे से लेकर 10:46 बजे तक उत्सव चलता है।
विक्रम संवत 2081‑2082 में तिथियों की गणना
इन सभी त्यौहारों का ताल‑मिल विक्रम संवत 2081‑2082 के अनुसार तय किया गया है। चंद्रमा की अवस्था, नक्षत्र (उत्कट विशिष्ट शशांक‑उदयन) और ग्रहों की पारगमन स्थिति से तिथियां निकाली जाती हैं। उदाहरण के लिये, कोजगिरी पूर्णिमाभारत का पावन दिन शशांक की पूर्ति पर आधारित है। इसी तरह, गोवर्धन पूजाभारत में अस्थि‑शेष (अस्ट्रोनॉमी) के अनुसार अस्था समय 9:23 बजे से 10:06 बजे तक रहता है। ये सभी गणनाएँ शास्त्रीय पंचांग की कठोरता को दर्शाती हैं, जो आज भी लाखों भारतीयों द्वारा भरोसेमंद मान ली गई हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
दशहरा कब और कहाँ मनाया जाता है?
दशहरा 2 अक्टूबर 2025 को गुरुवार को अयोध्या सहित पूरे भारत में मनाया जाएगा। इस दिन राम ने रावण को मार कर अंधकार पर प्रकाश की जीत का प्रतीक स्थापित किया।
करवा चौथ का व्रत कब समाप्त होता है?
करवा चौथ 10 अक्टूबर 2025 को शुरू होता है और सूर्यास्त के बाद चंद्रमा देख कर व्रत समाप्त किया जाता है। आमतौर पर व्रत‑तोड़ने का समय शाम‑संध्या के बीच लगभग 7:30 बजे होता है।
दीवाली के मुख्य अनुष्ठान कौन‑से हैं?
दीवाली पर मुख्य रूप से लक्ष्मी‑पूजा, दीप जला‑बजाना, पटाखे चलाना और मिठाई‑समर्पण प्रमुख अनुष्ठान हैं। 20 अक्टूबर 2025 को सभी घरों में रात 7‑9 बजे के बीच इन कार्यक्रमों का विशेष आयोजन होगा।
छठ पूजा में सूर्य अर्घ्य किस समय दिया जाता है?
छठ पूजा 27 अक्टूबर 2025 को दो प्रमुख अर्घ्य समय रखती है – सूर्योदय 6:10 वेजे और सूर्यास्त 6:02 वेजे। दोनों समय पर भक्त नदी, तालाब या गंगा‑यमुना जैसे जल‑स्रोतों में जल‑अर्घ्य देते हैं।
विक्रम संवत के हिसाब से ये तिथियां कैसे निकाली गईं?
विक्रम संवत 2081‑2082 के पंचांग में नक्षत्र‑स्थिति, ग्रह‑गति और चंद्र‑अवस्था को मिलाकर तिथियां तैयार की गईं। उदाहरण के लिये, पूर्णिमा, नवमी और अष्टमी जैसे महत्वपूर्ण तिथियों को शशांक की स्थिति और शुक्ल‑अषाढ़ के नक्षत्र के आधार पर तय किया गया।
द्वारा लिखित Pooja Joshi
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