आयकर रिटर्न जमा करने की अंतिम तिथि अब 16 सितंबर तक बढ़ा, कंपनियों को मिल रहा राहत

आयकर रिटर्न जमा करने की अंतिम तिथि अब 16 सितंबर तक बढ़ा, कंपनियों को मिल रहा राहत

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने आयकर फाइलिंग की समय सीमा में बड़ा बदलाव किया है। मूल तौर पर 31 जुलाई 2025 को समाप्त होने वाली रिपोर्टिंग डेडलाइन, अब आयकर रिटर्न जमा करने की अंतिम तिथि 16 सितंबर 2025 तक बढ़ा दी गई है। यह सरप्राइज कई कारणों से आया – नए फॉर्म के बड़े परिवर्तन, पोर्टल में तकनीकी खामियां और सिस्टम परीक्षण में विलंब।

डेडलाइन की विस्तृत तालिका

सरकार ने विभिन्न करदाता वर्गों के लिए अलग‑अलग समयसीमा तय की है, जिससे हर समूह को पर्याप्त तैयारी का अवसर मिले।

  • व्यक्तिगत करदाता, एचयूएफ़, एओपी और बीओआई (ऑडिट‑मुक्त): 16 सितंबर 2025 तक रिटर्न फाइल करें।
  • व्यवसाय जो ऑडिट के लिए बाध्य हैं: 31 अक्टूबर 2025 तक ऑडिट रिपोर्ट जमा करें और रिटर्न फाइल करें।
  • ट्रांसफर प्राइसिंग रिपोर्ट आवश्यक वाले व्यवसाय: 30 नवंबर 2025 तक सभी दस्तावेज़ प्रस्तुत करें।
  • FY 2024‑25 की आयकर ऑडिट रिपोर्ट: 30 सितंबर 2025 को अंतिम तिथि तय की गई है।

इन सभी विस्तारों का मुख्य मकसद करदाताओं को नयी आईटीआर फॉर्म में दी गई जटिलताओं से बचाना और पोर्टल की अस्थाई समस्याओं को सुलझाने के लिये पर्याप्त समय देना है।

कंपनियों और व्यक्तियों पर असर

कंपनियों और व्यक्तियों पर असर

छोटे व्यवसायी और बड़े कॉरपोरेट्स दोनों ने फॉर्म में बदलाव को चुनौतीपूर्ण बताया था। विशेषकर ट्रांसफर प्राइसिंग जैसे जटिल सेक्शन में डेटा तैयार करने के लिये अतिरिक्त विशेषज्ञता की जरूरत पड़ती है। इस नई सीमा के चलते उन्हें देर‑से‑देर तक काम पूरा करने की झंझट से बचाव मिला है।

इसके अलावा, आयकर पोर्टल पर लगातार त्रुटियों की शिकायतें भी उजागर हुई थीं। कई करदाताओं ने बताया कि लॉग‑इन नहीं हो रहा, फ़ॉर्म लोड नहीं हो रहा या डेटा सेव नहीं हो रहा। इस विस्तार से आईटी टीम को बग सुधारने और टेस्टिंग पूरा करने का मौका मिला।

सोशल मीडिया पर गलत सूचना भी फ़ैल रही थी कि सीमा को और आगे बढ़ाया जा सकता है। मंत्रालय ने स्पष्ट कर दिया कि 15 सितंबर तक की खबर आधी-धूंध है, जबकि आधिकारिक तौर पर 16 सितंबर का विस्तार मान्य है। यह स्पष्टता करदाताओं को भ्रम से बचाती है और योजना बनाने में मदद करती है।

संक्षेप में, यह ताजगी भरा कदम न केवल कर प्रबंधन को सरल बनाता है, बल्कि भारत की समग्र टैक्स कॉम्प्लायंस संस्कृति को भी सुदृढ़ करता है। अब समय है कि सभी वर्ग इस नई समयसीमा का सही इस्तेमाल करें और अपनी टैक्स दायित्वों को सही समय पर पूरा करें।

  • Pooja Joshi

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