बिहार में बाढ़ संकट: 25 लाख लोग प्रभावित, गंगा-कोसी सहित कई नदियों में खतरे का निशान पार

बिहार में बाढ़ संकट: 25 लाख लोग प्रभावित, गंगा-कोसी सहित कई नदियों में खतरे का निशान पार

बिहार में बाढ़ का प्रकोप: लाखों की जिंदगी प्रभावित

बिहार इन दिनों भीषण बाढ़ की मार झेल रहा है। इस बार हालात कुछ ज्यादा ही गंभीर हैं क्योंकि गंगा, कोसी, बागमती, पुनपुन और घाघरा नदियों में पानी खतरे का निशान पार कर गया है। अचानक नेपाल के इलाकों से आईं तेज़ बारिश ने भी इन नदियों को उफान पर ला दिया। नतीजा, 10 जिलों के करीब 25 लाख लोग पानी में घिरे हैं। इनमें भोजपुर, पटना, वैशाली, सारण, बेगूसराय, लखीसराय, मुंगेर, खगड़िया, भागलपुर और कटिहार शामिल हैं। भागलपुर जिले के हालात तो और खराब हैं। वहां, नदी के माप केंद्र पर जलस्तर 34.86 मीटर पहुंच गया है, जबकि खतरे का निशान 33.68 मीटर है। 6 ब्लॉक पूरी तरह से जलमग्न होकर लगभग 5 लाख लोग मुश्किल में हैं।

नीतीश कुमार ने 13 अगस्त को इमरजेंसी बैठक बुलाई थी। उन्होंने सभी जिला प्रशासन को सतर्क रहने और राहत-बचाव में तेजी लाने के निर्देश दिए। किसानों की फसल बर्बादी की भरपाई और क्षतिग्रस्त सड़कों की मरम्मत के आदेश दिए गए। अब हालात संभालने के लिए NDRF और SDRF की 16-16 टीमें इलाके में भेजी गई हैं। इनके साथ 1200 से ज्यादा देशी नावें जुटी हैं, जो फंसे लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने में लगी हैं। प्रशासन का कहना है कि फिलहाल कोई जान चली जाने की खबर नहीं है, लेकिन चिंता अभी कम नहीं हुई है।

राहत और बचाव के बीच मौसम की नई चुनौती

राहत और बचाव के बीच मौसम की नई चुनौती

मौसम ने भी मुश्किलें बढ़ा दी हैं। 14 अगस्त को मौसम की खराबी के चलते हवाई सर्वे में देरी हुई, लेकिन जैसे ही मौका मिला, मुख्यमंत्री ने जल संसाधन मंत्री विजय चौधरी के साथ भागलपुर, भोजपुर, बेगूसराय और खगड़िया का हेलिकॉप्टर से मुआयना किया। उन्होंने हर ब्लॉक के अफसरों को ये सुनिश्चित करने को कहा कि राहत सामग्री, दवा और डॉक्टर समय पर पहुंचे।

मौसम विभाग ने अगले 3-4 दिनों में बिहार के कई इलाकों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। पटना केंद्र से मिली जानकारी के मुताबिक आगामी 48 घंटे बेहद अहम हैं। 14 जिलों में बिजली कड़कने का खतरा भी है, खासकर सीतामढ़ी और पूर्णिया जैसे जिलों में। ऐसे में प्रशासन ने नदियों के सभी माप केंद्रों पर चौबीसों घंटे निगरानी शुरू कर दी है। निचले इलाके के लोगों को सरकारी शेल्टरों में ले जाने का आदेश है।

प्रशासन हर जिले से रोजाना नुकसान का ब्यौरा मंगा रहा है ताकि राहत का पैसा सही समय पर लोगों को मिल सके। अधिकारी गांव-गांव घूमकर राहत का आकलन कर रहे हैं। बाढ़ प्रभावित इलाकों में अब सड़कों की मरम्मत और पानी को निकालने के इंतजाम भी शुरू हो गए हैं।

  • 10 जिलों में 25 लाख लोग सीधे तौर पर बाढ़ की चपेट में
  • 16 NDRF और SDRF की टीमें तैनात
  • 1200 देसी नावें बचाव कार्य में
  • रोजाना नुकसान का आकलन और राहत सामग्री वितरण की निगरानी
  • भारी बारिश और बिजली गिरने का 48 घंटे का ताजा अलर्ट

सरकार के फैसलों और राहत टीमों की मेहनत के बावजूद लोग डरे हुए हैं। बारिश की तीव्रता और नदियों का मिजाज सबकी नजर में है। हर कोई अपने घर, फसल और सुरक्षित भविष्य की चिंता में है।

  • Pooja Joshi

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18 टिप्पणि

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    Dipak Moryani

    अगस्त 16, 2025 AT 16:09

    इस बार बाढ़ इतनी भयानक क्यों है? पिछले साल तो इतना पानी नहीं आया था। क्या नेपाल के जंगल कटाव और बाढ़ के बीच कोई संबंध है? ये सवाल किसी को नहीं पूछ रहा।

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    Jaya Bras

    अगस्त 17, 2025 AT 19:35

    सरकार ने तो बस हेलीकॉप्टर से घूमकर फोटो खींच ली। असली मुसीबत तो गांवों में है जहां लोग छत पर बैठे हैं और बच्चे बीमार हैं।

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    Rupesh Sharma

    अगस्त 19, 2025 AT 04:31

    लोगों को डर नहीं लगना चाहिए। जब तक जिंदगी है, तब तक उम्मीद है। नावें चल रही हैं, NDRF आ गया है, और लोग मिलकर काम कर रहे हैं। ये बिहार की ताकत है।

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    Ravi Kant

    अगस्त 19, 2025 AT 23:28

    ये बाढ़ सिर्फ प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि हमारे पुराने जल संसाधन प्रबंधन की नाकामी है। हमने नदियों को बंध बनाकर नहीं, बल्कि उनके बहाव को बदलकर तोड़ दिया।

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    Harsha kumar Geddada

    अगस्त 21, 2025 AT 01:47

    इस बाढ़ का असली कारण नदियों का बहाव नहीं, बल्कि हमारी सोच है। हमने जमीन को बांध दिया, नदियों को रास्ता नहीं दिया, और फिर बारिश के लिए दोष देने लगे। ये नदियां हमारी माता हैं, हम उनका सम्मान करना भूल गए। जब तक हम इन्हें अपना दुश्मन नहीं समझेंगे, तब तक ये आपदाएं बंद नहीं होंगी। हर बार जब कोई बाढ़ आती है, तो हम बचाव के बारे में बात करते हैं, लेकिन कभी नदियों के साथ सामंजस्य बनाने के बारे में नहीं। ये बाढ़ हमारी अहंकार की आवाज़ है।

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    Rashmi Naik

    अगस्त 21, 2025 AT 14:49

    क्या ये सब एक बड़ा गवर्नमेंट कंट्रोल नहीं है जिससे लोगों को डरा कर नए फंड्स निकाले जा रहे हैं? बाढ़ तो हर साल होती है ना।

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    sachin gupta

    अगस्त 22, 2025 AT 10:51

    अगर आपने कभी बिहार के राजनीतिक इतिहास को जाना होगा तो आप जान जाएंगे कि ये बाढ़ सिर्फ प्राकृतिक नहीं, बल्कि नीतीश कुमार के विकास योजनाओं की असफलता का परिणाम है।

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    Vishakha Shelar

    अगस्त 23, 2025 AT 19:18

    मेरा भाई भागलपुर में है... अब तक कोई राहत नहीं आई... बस टीवी पर बोल रहे हैं... अरे भगवान ये क्या हो रहा है??? 😭

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    Arun Sharma

    अगस्त 25, 2025 AT 08:05

    बाढ़ के इस दौरान सामाजिक संरचना के अंतर्गत गांव के स्तर पर स्वयंसेवी बलों की भूमिका का अध्ययन करना चाहिए। राज्य की भूमिका के बारे में बहुत ज्यादा बात हो रही है, लेकिन स्थानीय स्तर पर सहयोग की बात कम हो रही है।

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    Ayush Sharma

    अगस्त 26, 2025 AT 22:19

    मैंने अभी तक एक भी आधिकारिक वीडियो नहीं देखा जिसमें लोगों को नाव से बचाया जा रहा हो। ये सब बस दावे हैं।

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    Abhishek Rathore

    अगस्त 27, 2025 AT 07:31

    मैंने एक गांव में देखा था कि लोग अपने घर के बाहर बैठकर एक दूसरे के साथ चाय पी रहे थे। बाढ़ थी, लेकिन उनकी आत्मा नहीं डूबी। हम बहुत ज्यादा भय के बारे में बात कर रहे हैं, लेकिन इंसानी जुनून के बारे में नहीं।

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    Kotni Sachin

    अगस्त 28, 2025 AT 01:39

    ये बाढ़ बहुत बड़ी है, लेकिन ये बाढ़ का अंत नहीं है। अगले 50 सालों में बाढ़ और भी बढ़ेगी। हमें नदियों के बहाव को समझना होगा, न कि उन्हें बांधना। नदियों को रास्ता दो, और वो तुम्हें जीवन देंगी।

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    Subham Dubey

    अगस्त 29, 2025 AT 06:27

    ये सब एक जाल है। नेपाल के जंगल काटने का दोष भारत पर डाला जा रहा है, लेकिन असली जिम्मेदार विदेशी निवेशक हैं जो बाढ़ के बाद रियल एस्टेट खरीद रहे हैं।

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    saikiran bandari

    अगस्त 31, 2025 AT 03:02

    लोगों को बचाने के लिए नावें तो हैं पर खाना नहीं है

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    Shivakumar Kumar

    सितंबर 1, 2025 AT 08:52

    देखो, जब बाढ़ आती है तो हम सब नावें और राहत की बात करते हैं। पर अगर बाढ़ से पहले हमने नदियों के किनारे बने गांवों को सुरक्षित जगह पर ले जाया होता, तो आज ये दुख न होता। हम बाद में इलाज करने की कोशिश करते हैं, बीमारी को रोकने की नहीं।

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    charan j

    सितंबर 1, 2025 AT 22:12

    बस एक बार अपने जिले के अधिकारी को देखो जो बाढ़ में बैठा है और अपनी टीम को फोन पर बता रहा है कि कहां जाना है

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    Rajeev Ramesh

    सितंबर 2, 2025 AT 06:02

    राहत के लिए जो धन आवंटित किया गया है, उसका उपयोग वित्तीय नियंत्रण के तहत निरीक्षण किया जाना चाहिए। अतिरिक्त व्यय और अनियमितताओं के खिलाफ सख्त नियम बनाए जाने चाहिए।

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    Vijay Kumar

    सितंबर 3, 2025 AT 03:31

    बाढ़ नहीं, अहंकार डूब रहा है।

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