दिल्ली में जल संकट गहराया: अतीशी ने यूपी और हरियाणा के मुख्यमंत्रियों से लगाई SOS गुहार

दिल्ली में जल संकट गहराया: अतीशी ने यूपी और हरियाणा के मुख्यमंत्रियों से लगाई SOS गुहार

दिल्ली में बढ़ते जल संकट ने आम जनता की चिंता को कई गुना बढ़ा दिया है। ताजा परिस्थिति को देखते हुए, आम आदमी पार्टी (आप) की नेता और दिल्ली जल बोर्ड (DJB) की चेयरपर्सन अतीशी मर्लेना ने उत्तर प्रदेश और हरियाणा के मुख्यमंत्रियों योगी आदित्यनाथ और मनोहर लाल खट्टर से तात्कालिक हस्तक्षेप की अपील की है। उन्होंने मुख्यमंत्रियों से आग्रह किया है कि हठिनीकुंड बैराज से पर्याप्त पानी की रिहाई सुनिश्चित की जाए ताकि दिल्ली की पानी की जरूरतों को पूरा किया जा सके।

यमुना नदी में जल स्तर में अभूतपूर्व गिरावट आ गई है, जिससे दिल्ली जल बोर्ड को अपना पानी उत्पादन 25 प्रतिशत तक कम करना पड़ा है। इसके कारण दिल्ली के कई इलाकों में पानी की सप्लाई में गंभीर कमी आ गई है। अतीशी ने बताया कि स्थिति अत्यंत ही गंभीर है और इसे तत्काल सुलझाने की जरूरत है। उन्होंने चेतावनी दी कि स्थिति में समय रहते सुधार नहीं किया गया तो राजधानी में जल संकट और भी गहरा सकता है।

दिल्ली सरकार लगातार उत्तर प्रदेश और हरियाणा के अधिकारियों के संपर्क में है, लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकल सका है। दिल्ली जल बोर्ड की पानी शोधन संयंत्रों की क्षमता भी जल स्तर की कमी के कारण प्रभावित हो रही है, जिससे पानी की आपूर्ति में और भी अधिक समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं।

दिल्ली की जनता इस जल संकट से बुरी तरह जूझ रही है। रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करना दूभर हो गया है। पानी की किल्लत के कारण नागरिकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पानी की कमी के चलते न सिर्फ घरेलू उपयोग बल्कि व्यापार और उद्योग भी प्रभावित हो रहे हैं।

बढ़ते जल संकट को देखते हुए दिल्ली सरकार ने जनता से भी सहयोग की अपील की है। नागरिकों से पानी की बर्बादी न करने और कम से कम पानी का उपयोग करने का निवेदन किया गया है। सरकार ने भी विभिन्न जल संरक्षण उपायों पर काम शुरू कर दिया है ताकि इस कठिन स्थिति से जल्दी निजात मिल सके।

वहीं दूसरी ओर हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सरकारें भी इस स्थिति से उबरने के लिए अपने-अपने स्तर पर कार्य कर रही हैं। इससे पहले भी उत्तर प्रदेश और हरियाणा के बीच यमुना के पानी को लेकर विवाद हो चुका है। ऐसे में स्थिति को संभालना दोनों राज्यों के लिए भी एक बड़ी चुनौती बन गया है।

हरियाणा सरकार ने हठिनीकुंड बैराज से पानी की रिहाई बढ़ाने पर विचार किया है, जबकि उत्तर प्रदेश सरकार अपने जलाशयों के उपायों को सुदृढ़ करने पर जोर दे रही है। दोनों राज्यों की सरकारें इस मुद्दे पर गंभीरता से काम कर रही हैं ताकि दिल्ली के नागरिकों को जल्द से जल्द राहत मिल सके।

गौरतलब है कि दिल्ली की पानी की जरूरत का बड़ा हिस्सा यमुना नदी से ही पूरा होता है। यमुना का जल स्तर गिरने के कारण दिल्ली में जल संकट और भी विकट हो गया है। विशेषज्ञों के अनुसार, अगर जल्द ही जल स्तर में सुधार नहीं हुआ तो स्थिति नियंत्रण से बाहर हो सकती है।

अतीशी मर्लेना ने अपने बयान में यह भी कहा कि दिल्ली सरकार हर संभव कदम उठा रही है ताकि नागरिकों को पानी की कमी से निजात दिलाई जा सके। उन्होंने जनता से अपील की है कि वे संयम बनाए रखें और सरकार के साथ मिलकर इस संकट से निपटने में सहयोग करें।

कुल मिलाकर, दिल्ली में बढ़ता जल संकट न सिर्फ राजधानी के नागरिकों के लिए बल्कि सरकार के लिए भी एक बड़ी चुनौती बन गया है। यह समय की मांग है कि जल्द से जल्द इस समस्या का समाधान निकाला जाए ताकि नागरिकों को राहत मिल सके और जीवन सामान्य हो सके।

  • Pooja Joshi

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12 टिप्पणि

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    saikiran bandari

    जून 3, 2024 AT 16:56

    यमुना सूख गई तो दिल्ली का पानी कहाँ से आएगा अरे भाई

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    Arun Sharma

    जून 4, 2024 AT 08:36

    इस समस्या का मूल कारण जल संसाधनों के अनुचित प्रबंधन और अत्यधिक उपयोग है। यमुना नदी का जल स्तर गिरने का कारण केवल हरियाणा और उत्तर प्रदेश की रिहाई नहीं है, बल्कि दिल्ली में अनियंत्रित जल उपयोग, अवैध बोरवेल, और जल संरक्षण की कमी है। यह एक व्यवस्थागत विफलता है।

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    Harsha kumar Geddada

    जून 5, 2024 AT 20:04

    हम जल संकट को एक तात्कालिक समस्या के रूप में देख रहे हैं, जबकि यह एक दशकों पुराने नीतिगत और पारिस्थितिक असंतुलन का परिणाम है। हमने नदियों को बस एक नल के रूप में देखा, न कि एक जीवित प्रणाली के रूप में। हरियाणा और उत्तर प्रदेश के साथ विवाद करने के बजाय, हमें अपने शहरों में जल पुनर्चक्रण, वर्षा जल संचयन और जल संरक्षण के लिए एक सांस्कृतिक बदलाव लाने की आवश्यकता है। यह तकनीकी समस्या नहीं, बल्कि एक नैतिक चुनौती है।

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    Shivakumar Kumar

    जून 5, 2024 AT 22:28

    मैं तो देख रहा हूँ कि दिल्ली के कुछ इलाकों में अभी भी घरों में नल चलते रहते हैं, और दूसरी ओर लोगों को टैंकर के लिए लाइन में खड़े होना पड़ता है। ये असमानता किसी ने नहीं देखी? जल को एक मानव अधिकार के रूप में लेना होगा, न कि एक बाजार का सामान। अगर ये सिस्टम नहीं बदला तो आने वाले साल और भी बेहतर नहीं होंगे।

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    Kotni Sachin

    जून 7, 2024 AT 06:17

    मुझे लगता है, कि हमें इस समस्या के लिए, एक व्यापक, बहु-स्तरीय, और समग्र रणनीति की आवश्यकता है-जिसमें न केवल जल आपूर्ति का पुनर्वितरण शामिल हो, बल्कि जल उपयोग के लिए कठोर नियम, जल बचाने के लिए जन जागरूकता अभियान, और नदी के बाढ़ जल को संग्रहित करने के लिए बड़े पैमाने पर जलाशयों का निर्माण भी शामिल हो। यह एक अल्पकालिक समाधान नहीं, बल्कि एक दीर्घकालिक जिम्मेदारी है।

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    Rashmi Naik

    जून 8, 2024 AT 08:11

    यमुना के पानी का ट्रांसफर नहीं हो रहा है इसलिए दिल्ली में जल संकट है और ये सब आपकी नीतियों का नतीजा है

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    Vishakha Shelar

    जून 9, 2024 AT 09:21

    मैं तो रो रही हूँ 😭 पानी के लिए 5 घंटे लाइन में खड़ी रही... मेरी बेटी के बाल नहीं धो पाई 😭

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    Ravi Kant

    जून 10, 2024 AT 22:15

    दिल्ली का यह संकट दक्षिण भारत के जल संकट से बहुत अलग नहीं है। यह एक राष्ट्रीय समस्या है, जिसका समाधान राज्यों के बीच बातचीत से नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय जल नीति से हो सकता है। भारत की नदियाँ एक जीवित विरासत हैं, न कि एक राजनीतिक बहस का विषय। हमें उनके साथ सम्मान से रहना होगा।

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    Ayush Sharma

    जून 11, 2024 AT 06:40

    हरियाणा के मुख्यमंत्री को बताना होगा कि जल बाँटने के लिए न्याय की जरूरत है, न कि राजनीति की। यह एक जीवन-मरण का मुद्दा है।

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    sachin gupta

    जून 11, 2024 AT 23:37

    मुझे लगता है ये सब बहुत ओवरड्रामा है। बस टैंकर लगा दो, बॉस। क्या इतना बड़ा मुद्दा है? बाहर जाकर देखो, कोई भी जी रहा है। अब तो लोग बर्फ के टुकड़े भी बेच रहे हैं, तो फिर चिंता क्यों?

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    charan j

    जून 13, 2024 AT 00:30

    कोई भी राजनीतिक दल इसका जवाब नहीं दे सकता क्योंकि सब बेकार हैं

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    Rajeev Ramesh

    जून 14, 2024 AT 10:46

    मुझे लगता है कि इस समस्या का समाधान अंतर-राज्यीय समझौतों और जल संसाधनों के अंतरराष्ट्रीय नियमों के आधार पर ही संभव है। भारत के जल संसाधनों के प्रबंधन में एक राष्ट्रीय जल प्राधिकरण की स्थापना की जानी चाहिए, जो न्यायपालिका के समकक्ष हो और जिसकी अधिकारिता सभी राज्यों पर लागू हो। यह एक ऐसी संस्था होनी चाहिए जो राजनीतिक दबावों से मुक्त हो, और जल के वितरण को वैज्ञानिक, पारदर्शी और न्यायसंगत तरीके से नियंत्रित करे। अन्यथा, यह विवाद अनंत तक चलता रहेगा।

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