दीपावली 2025 से पहले सोने-चांदी की कीमतें गिरें, दिल्ली में 24K सोना ₹1,30,860

दीपावली 2025 से पहले सोने-चांदी की कीमतें गिरें, दिल्ली में 24K सोना ₹1,30,860

जब The Economic Times ने 19 अक्टूबर 2025 को बताया, तो सोने‑चांदी के बाजार में अचानक ठंडक देखी गई। सोने की कीमत ने दो‑तीन दिन पहले के रिकॉर्ड‑हाई से हल्का गिराव देखा, जबकि चांदी की कीमत करीब ₹7,000 प्रति किलोग्राम कम हो गई। यह बदलाव दिल्ली के दिल्ली बाजार में All India Sarafa Association द्वारा दर्ज किया गया।

कीमतों का मौजूदा सफ़र

19 अक्टूबर को 24‑कैरेट सोना दिल्ली में ₹1,30,860 प्रति 10 ग्राम पर ट्रेड हुआ, जो पिछले दिन के ₹1,32,400 से लगभग ₹2,400 कम था। यही नहीं, 99.5 % शुद्धता वाला सोना भी ₹1,31,800 पर आया। चांदी की कीमतें दो‑दिन में लगातार गिरते हुए ₹1,70,000 प्रति किलोग्राम पर ठहरा। इस गिरावट के पीछे कई कारण जुड़े हुए हैं—वैश्विक बाजार में अल्पकालिक सुधार, रूढ़िवादी भारत में आयात प्रतिबंध, और निवेशकों की जोखिम‑भारी पोर्टफोलियो पुनर्संतुलन।

इतिहास और पिछले रुझान

सितंबर 2025 में 24K सोना ₹10,588 से शुरू होकर महीने के अंत में ₹11,744 तक पहुंचा, यानी +10.92 % की वृद्धि। अक्टूबर के शुरुआती दिनों में ₹11,853 पर गिरावट देखी, पर 17 अक्टूबर को रिकॉर्ड‑हाई ₹13,277 तक पहुँच गया। जाँच से पता चलता है कि पिछले साल के धनतेरस (अक्टूबर 2024) के बाद सोने की कीमतें 62.6 % बढ़ी हैं, यानी 10 ग्राम पर ₹51,000 का इज़ाफ़ा। चांदी ने भी 70 % की तेज़ी से बढ़त दर्ज की।

बाजार विशेषज्ञों की राय

बाजार विशेषज्ञों की राय

श्री राहुल वर्मा, ICICI Bank Global Markets के वरिष्ठ विश्लेषक, ने कहा, “अभी की गिरावट क्षणिक है, लेकिन 2025 के बाकी हिस्से में कीमतें ₹1,20,000‑₹1,35,000 के बीच रह सकती हैं। अगर भारतीय रुपया 87‑89 प्रति डॉलर के रेंज में फिर से कमजोर हुआ, तो 2026 की शुरुआत में ₹1,45,000 तक पहुंचना संभव है।” उन्होंने आगे बताया कि वैश्विक निवेशकों का सोने पर भरोसा, साथ ही भारत का मौजूदा आयात प्रतिबंध, कीमतों को समर्थन देंगे।

उपभोक्ताओं एवं रिटेलर पर प्रभाव

दीपावली के करीब, भारत के अधिकांश आभूषण विक्रेता धंधा बढ़ते देख रहे हैं। लेकिन कीमतों में अचानक गिरावट ने कुछ खरीदारों को हिचकिचा दिया, क्योंकि वे अब सोचते हैं कि किस्में पहले खरीद ली जाएँ। छोटे शहरों में लगभग 30 % ग्राहक अब तब तक इंतजार कर सकते हैं जब तक कीमतें और कम न हो जाएँ। बड़े शहरों में, विशेषकर मुंबई, अहमदाबाद और पुणे में, रिटेलर जल्द‑बाजार व्यापारिक रणनीति अपनाकर छूट और बंडल ऑफर्स दे रहे हैं।

आगे क्या हो सकता है

आगे क्या हो सकता है

आने वाले दो‑तीन हफ्तों में हमें देखना पड़ेगा कि भारतीय रुपये का मूल्य कितनी तेज़ी से बदलता है, और वैश्विक आर्थिक अस्थिरता—जैसे कि यू.एस. फेडरल रिज़र्व की मौद्रिक नीति—की दिशा क्या होगी। यदि रु. 90 प्रति डॉलर के आसपास स्थिर रहता है, तो उपरोक्त विशेषज्ञों की भविष्यवाणी के अनुसार कीमतें फिर से ऊपर जा सकती हैं। दूसरी ओर, यदि आयात प्रतिबंध कड़ा होता है और घरेलू मांग में ठहराव आता है, तो कीमतें स्थिर या हल्की गिरावट के साथ खत्म हो सकती हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

सोने की कीमतों में गिरावट से कौन‑से वर्ग के निवेशकों को सबसे अधिक असर पड़ेगा?

मुख्यतः किरायेदार और छोटे निवेशक जो अपनी बचत को सोने में रख कर सुरक्षित रखना चाहते थे, उन्हें इस गिरावट से लाभ मिला। बड़े संस्थागत निवेशकों के पोर्टफोलियो में हल्का पुनर्संतुलन देखा गया, क्योंकि वे डेरिवेटिव और विदेशी मुद्रा में जोखिम को कम करने की कोशिश कर रहे हैं।

क्या चांदी की कीमतों में गिरावट का कारण अलग है?

चांदी अक्सर औद्योगिक मांग के साथ जुड़ी रहती है। इस साल वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक और सौर पैनल उत्पादन में हल्के‑भारी गिरावट ने चांदी की कीमतों पर दबाव डाला। साथ ही, निवेशकों की सोने की ओर प्राथमिकता ने चांदी की माँग को घटाया।

दीपावली 2025 के दौरान आभूषण खरीदने के लिए बेहतर समय कब होगा?

यदि आप कीमतों में आगे की गिरावट की उम्मीद करते हैं, तो धनतेरस के तुरंत बाद, यानी 22‑23 अक्टूबर के आसपास, खरीदना फ़ायदेमंद हो सकता है। लेकिन अगर आप ठंडे बाजार में सौदा करना चाहते हैं, तो अंत तक—अक्टूबर के तीसरे सप्ताह—पर देखना बेहतर रहेगा।

बैंक की भविष्यवाणी के पीछे मुख्य आर्थिक संकेतक कौन‑से हैं?

रुपये‑डॉलर विनिमय दर, वैश्विक सोने की फ्यूचर कीमतें, और भारत के आयात प्रतिबंध की सख़्ती प्रमुख हैं। इसके अलावा, यू.एस. एफ़डीआर की ब्याज दर नीति और अंतरराष्ट्रीय तेल कीमतों में उतार‑चढ़ाव भी अप्रत्यक्ष रूप से प्रभाव डालते हैं।

आगामी महीनों में सोने‑चांदी के लिए कौन‑सी रणनीति अपनानी चाहिए?

यदि आप दीर्घकालिक धारणकर्ता हैं, तो मौजूदा कीमतें बेहतर प्रवेश बिंदु हो सकती हैं। लेकिन अल्प‑कालिक ट्रेडर को बाजार की अस्थिरता—जैसे कीमतों का दो‑तीन दिन का उछाल—को देखते हुए स्टॉप‑लॉस और टेक‑प्रॉफिट लेवल सेट करने चाहिए।

  • Pooja Joshi

    इनके सभी पोस्ट देखें:

एक टिप्पणी लिखें