Ola Electric शेयर ऑल-टाइम लो पर, Q1 FY26 नतीजों से पहले भारी दबाव

Ola Electric शेयर ऑल-टाइम लो पर, Q1 FY26 नतीजों से पहले भारी दबाव

शुक्रवार को Ola Electric का शेयर 39.76 रुपये तक टूट गया—यह इसका अब तक का सबसे निचला स्तर है। सत्र के अंत में भाव मामूली सुधरकर 39.99 रुपये पर बंद हुए, लेकिन साल की शुरुआत से अब तक स्टॉक 53.62% गिर चुका है। 14 जुलाई 2025 को आने वाले Q1 FY26 नतीजों से पहले निवेशक जोखिम कम कर रहे हैं।

दबाव की सबसे बड़ी वजह जून की कमजोर बिक्री है। सड़क परिवहन मंत्रालय के वाहन पोर्टल के मुताबिक कंपनी ने जून 2025 में 20,189 ई-टू-व्हीलर रजिस्ट्रेशन कराए—पिछले साल जून की तुलना में करीब 45% कम। इससे मार्केट शेयर एक साल में 46% से फिसलकर 19% रह गया। वाहन डेटा रजिस्टर्ड वाहनों को दिखाता है, यह सीधे बिलिंग/डिस्पैच से अलग होता है, फिर भी रिटेल मांग का अच्छा संकेत माना जाता है।

वित्तीय मोर्चे पर तस्वीर और धुंधली है। Q4 FY25 में कंपनी का कंसॉलिडेटेड नेट लॉस 870 करोड़ रुपये तक बढ़ गया, जबकि पिछले साल इसी तिमाही में 416 करोड़ रुपये का घाटा था। परिचालन से राजस्व 1,508 करोड़ रुपये से घटकर 611 करोड़ रुपये रह गया—करीब 59.5% की गिरावट। तिमाही में डिलीवरी 1.15 लाख से घटकर 51,375 यूनिट रही। EBITDA मार्जिन -28.6% पर फिसला, हालांकि ग्रॉस मार्जिन 19.2% तक सुधरे। लागत नियंत्रण के बावजूद कमजोर वॉल्यूम और कीमतों पर दबाव ने निचली रेखा को बिगाड़ा।

शेयर में कमजोरी नई नहीं है। 23 जून 2025 को स्टॉक इंट्रा-डे 43.16 रुपये तक गया था। इसके बाद लगातार पांचवें सत्र तक गिरावट चली और इसी दौरान करीब 0.8% इक्विटी के ब्लॉक डील्स भी हुए। तकनीकी तौर पर भाव 39 रुपये के सपोर्ट जोन के पास समेकन में हैं, पर ट्रेंड कमजोर है।

क्या बदला: मांग, नीति और प्रतिस्पर्धा

ईवी टू-व्हीलर बाजार पिछले 12–18 महीनों में उथल-पुथल से गुजरा है। सब्सिडी ढांचे में बदलाव के बाद मांग का रिद्म बिगड़ा और कई शहरों में खरीदारों ने कीमतें स्थिर होने का इंतजार किया। इस बीच TVS, Ather, Bajaj और Hero जैसे प्रतिस्पर्धियों ने अपने पोर्टफोलियो और फाइनेंसिंग ऑफर तेज किए, जिससे बाजार हिस्सेदारी का संतुलन बदला।

नीति मोर्चे पर अनिश्चितता भी बनी हुई है। जीएसटी में छोटे कार सेगमेंट पर संभावित कटौती की चर्चाओं ने ऑटो शेयरों में रोटेशन पैदा किया है। निवेशक यह समझने की कोशिश में हैं कि सरकार का अगला कदम टू-व्हीलर ईवी के लिए प्रोत्साहन, आयात शुल्क और लोकल वैल्यू एडिशन मानकों पर क्या संकेत देता है। जब तक दिशा साफ नहीं होती, उच्च-वोलैटिलिटी चल सकती है।

कंपनी-स्तर पर चिंता का दूसरा पहलू डिलीवरी और सर्विस नेटवर्क है। धीमी डिलीवरी, स्पेयर और आफ्टर-सेल्स अनुभव जैसे मुद्दे सोशल प्लेटफॉर्मों पर बार-बार उठते रहे हैं। ब्रांड भरोसा ईवी सेगमेंट में बिक्री का बड़ा ड्राइवर है; किसी भी झटके का असर रजिस्ट्रेशन डेटा में जल्दी दिखता है।

अब नज़र Q1 FY26 पर है। बाजार जिन संकेतों को बारीकी से देखेगा, वे हैं:

  • तिमाही वॉल्यूम: अप्रैल–जून में रजिस्ट्रेशन और डिस्पैच का ट्रेंड, साथ ही कैंसिलेशन दरें।
  • एवरेज सेलिंग प्राइस (ASP) और डिस्काउंटिंग: क्या कीमतों पर दबाव कम हुआ?
  • ग्रॉस/EBITDA मार्जिन: कमोडिटी और सेल लागत में कोई राहत दिखी या नहीं।
  • कैश बर्न और रनवे: ऑपरेटिंग कैश-फ्लो, वर्किंग कैपिटल और कर्ज/कैश बैलेंस का अपडेट।
  • कैपेक्स और एक्सपैंशन: मैन्युफैक्चरिंग लाइनों, लोकलाइजेशन और सेल सप्लाई पर योजना।
  • प्रोडक्ट पाइपलाइन: मौजूदा स्कूटर प्लेटफॉर्म के नए वेरिएंट, सॉफ्टवेयर/बैटरी अपडेट, और संभावित लॉन्च टाइमलाइन।
  • सेवा और विश्वसनीयता: वारंटी प्रावधान, फील्ड फेल्योर रेट और सर्विस कवरेज का रोडमैप।

संस्थापक भाविश अग्रवाल के नेतृत्व में कंपनी ने स्केल-अप चरण में आक्रामक दांव लगाए थे। अब निवेशक “किफायती विकास” और “लाभप्रदता की राह” वाली प्लेबुक देखने के इंतजार में हैं—यानी, कम कैश बर्न के साथ स्थिर वॉल्यूम और बेहतर यूनिट इकोनॉमिक्स।

चार्ट पर स्थिति और ब्रोकरों का नजरिया

टेक्निकल चार्ट पर 39 रुपये का स्तर अहम दिख रहा है। YES सिक्योरिटीज के लक्ष्मीकांत शुक्ला जैसे विश्लेषकों ने लगातार कई डोजी कैंडल्स की ओर इशारा किया है, जो शॉर्ट टर्म स्टेबलाइजेशन का संकेत दे सकती हैं। फिर भी ट्रेंड डाउन है, और 39 टूटने पर निचले स्तर खुल सकते हैं। ऊपर की ओर 57 रुपये पहला रेजिस्टेंस माना जा रहा है—वह भी सिर्फ तब जब वॉल्यूम के साथ पुलबैक आए।

ट्रेडिंग-रणनीति से परे, फंडामेंटल संकेत अधिक निर्णायक होंगे। अगर Q1 में वॉल्यूम और मार्जिन में ठोस सुधार दिखता है, तो वैल्यूएशन के दबाव में राहत मिल सकती है। उलटकर, अगर डिलीवरी, ASP या कैश बर्न अपेक्षाओं से कमजोर रहे, तो गिरावट का सिलसिला बढ़ने का जोखिम रहेगा।

कंपनी की ओर से इस गिरावट पर ताज़ा टिप्पणी फिलहाल सामने नहीं आई है। 14 जुलाई को तिमाही अपडेट से यह साफ होगा कि लागत घटाने, बिक्री बढ़ाने और ग्राहक अनुभव सुधारने की रणनीति कितनी असरदार रही। तब तक, बाजार का मूड सतर्क है और हर नई संख्या पर प्रतिक्रिया तेज रहेगी।

  • Pooja Joshi

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