फराह खान और साजिद खान की मां मेनका खान का निधन, लंबी बीमारी के बाद मां ने दुनिया को कहा अलविदा

फराह खान और साजिद खान की मां मेनका खान का निधन, लंबी बीमारी के बाद मां  ने दुनिया को कहा अलविदा

मेनका खान: एक मजबूत माँ का सफर

प्रसिद्ध बॉलिवुड कोरियोग्राफर और निर्देशक फराह खान तथा फिल्मकार साजिद खान की मां मेनका खान का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया है। यह दुखद समाचार खुद फराह खान ने सोशल मीडिया पर साझा किया। मेनका खान को एक मजबूत महिला के रूप में जाना जाता था, जिन्होंने अपने बच्चों को बड़े समर्पण और प्यार के साथ पाला। फराह खान ने कई मौकों पर अपनी मां को अपनी सफलता का श्रेय दिया है, जिनका प्रभाव उनके जीवन और करियर में महत्वपूर्ण रहा है।

मां के संघर्ष और प्रेम की कहानी

मेनका खान का जीवन और संघर्ष हर मां के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने अपनी संतानों को इस तरह संस्‍कारित किया कि वे जीवन में ऊंचे मुकाम हासिल कर सकें। फराह और साजिद ने भारतीय फिल्म उद्योग में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, और इसका श्रेय मेनका खान की शिक्षाओं और उनके द्वारा दिए गए मूल्यबोध को जाता है। फराह खान ने कई बार इस बात का उल्लेख किया है कि उनकी मां ने उन्हें अनुशासन और उत्साह के साथ काम करना सिखाया, जो उनकी सफलता की कुंजी बनी।

बॉलीवुड की संवेदनाएं

फिल्म जगत में मेनका खान की निधन की खबर से गहरा शोक फैल गया है। बॉलीवुड की प्रसिद्ध हस्तियों ने सोशल मीडिया पर संवेदनाएं व्यक्त की हैं और खान परिवार के साथ अपनी एकजुटता दिखाई है। लोगों ने मेनका खान को एक अद्वितीय स्त्री के रूप में याद किया, जिनका जीवन संघर्ष और प्रेरणा का प्रतीक रहा है।

फराह और साजिद की सफलता में मां का योगदान

मेनका खान ने अपनी बेटी फराह खान को कोरियोग्राफी और निर्देशन में प्रोत्साहित किया। फराह खान ने हर मौके पर अपनी मां की सराहना की है, और यह बताया है कि कैसे उन्होंने अपनी मां की शिक्षाओं से सफलता हासिल की। फराह ने एक बार कहा था कि उनकी मां ने उन्हें सिखाया कि जब आप कड़ी मेहनत और समर्पण के साथ कुछ करते हैं, तो सफलता जरूर मिलती है। साजिद खान भी अपनी मां के ऋणी रहे हैं, और कहते हैं कि उनकी मां ने उन्हें मेहनत और ईमानदारी का महत्व समझाया।

एक नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा

मेनका खान ने अपने बच्चों को जीवन के हर मोड़ पर समर्थन दिया और उन्हें प्रेम और साहस से पाला। उनकी शिक्षाओं का असर उनकी संतानों पर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। फराह खान और साजिद खान ने भारतीय फिल्म उद्योग में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, और इस योगदान का बड़ा हिस्सा मेनका खान के कठिन परिश्रम और समर्पण को जाता है।

इस दुखद अवसर पर, हम खान परिवार के साथ अपनी संवेदनाएं व्यक्त करते हैं। मेनका खान की यादें और उनकी विरासत उनके बच्चों और चाहने वालों के दिलों में हमेशा जीवित रहेंगी।

  • Pooja Joshi

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11 टिप्पणि

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    saikiran bandari

    जुलाई 28, 2024 AT 01:25
    मां का निधन हुआ तो भी फराह ने फिल्म बनाई ही रखी ना बस इतना ही सच है
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    Rashmi Naik

    जुलाई 28, 2024 AT 20:12
    इसको फैमिली डायनेमिक्स के कंटेक्स्ट में देखो तो ये एक पेरेंटल अगेंसी ट्रांसफर मॉडल है जहाँ मातृत्व की सामाजिक कैपिटल को इंटरजेनरेशनली लीवरेज किया गया
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    Vishakha Shelar

    जुलाई 30, 2024 AT 19:44
    मैं रो रही हूँ 😭 ये माँ का प्यार कभी नहीं जाएगा ❤️
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    Ayush Sharma

    अगस्त 1, 2024 AT 04:14
    यह घटना एक ऐसे सामाजिक संरचना के अंतर्गत घटित हुई है जहाँ मातृत्व की भूमिका को अत्यधिक आदर्शीकृत किया जाता है।
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    charan j

    अगस्त 2, 2024 AT 15:02
    सब बोल रहे हैं माँ का योगदान लेकिन फराह ने तो अपनी फिल्मों में बूढ़ी माँ को एक भी सीन में नहीं दिखाया
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    Kotni Sachin

    अगस्त 3, 2024 AT 05:08
    यहाँ एक बहुत बड़ी बात है... माँ ने बच्चों को सिर्फ शिक्षा नहीं दी, बल्कि उन्हें विश्वास दिया कि वो कुछ भी कर सकते हैं... ये बात बहुत गहरी है... आज के जमाने में ऐसी माँ कम हैं... बहुत कम... बहुत कम...
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    Nathan Allano

    अगस्त 3, 2024 AT 22:39
    मैंने भी अपनी माँ को खो दिया था... वो भी बीमारी के बाद... उन्होंने भी मुझे बहुत सीखा था... जब भी मैं हार जाता हूँ, तो उनकी आवाज़ याद आ जाती है... ये दर्द समझता हूँ... बहुत दर्द होता है...
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    Guru s20

    अगस्त 5, 2024 AT 16:27
    मेनका खान के बारे में जो भी लिखा गया है वो सच है... बस इतना जोड़ दूँ कि उनकी शिक्षाएँ आज भी बहुत काम आती हैं... बस एक बात... अगर हम अपनी माँ को इतना सम्मान दें तो बच्चे भी इसी तरह बनेंगे
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    Raj Kamal

    अगस्त 5, 2024 AT 18:04
    मैंने इस पोस्ट को बार-बार पढ़ा है और एक बात ध्यान में आई कि आज के जमाने में जब हर कोई अपने बच्चों को स्कूल और कोचिंग में भेजता है तो क्या कोई भूल रहा है कि असली शिक्षा घर में होती है... मेनका खान ने बच्चों को जीवन जीने का तरीका सिखाया था न कि सिर्फ एक करियर... और ये बात बहुत बड़ी है... बहुत बड़ी... बहुत बड़ी...
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    Rahul Raipurkar

    अगस्त 6, 2024 AT 19:20
    यहाँ एक अस्तित्ववादी द्वंद्व छिपा है... माँ की बलिदान की निर्मित आदर्शता के साथ बॉलीवुड के व्यावसायिक संरचनावाद का विरोध... जब तक यह अंतर नहीं समझा जाएगा तब तक ये यादें सिर्फ एक रूपक बनी रहेंगी
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    PK Bhardwaj

    अगस्त 6, 2024 AT 23:31
    मेनका खान के निधन के बाद ये सामाजिक अभिव्यक्ति एक स्पष्ट रूप से नोटिस किया जा सकता है कि सामाजिक संस्कृति में मातृत्व के प्रति एक गहरी आध्यात्मिक अभिवृत्ति विकसित हुई है... यह एक ऐसा सांस्कृतिक अंतर्निहित है जिसे हम अक्सर अनदेखा कर देते हैं

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