सप्तरीषी पुरस्कार का महत्व और इतिहास
हिंदू रिसर्च फाउंडेशन (HRF) द्वारा स्थापित साप्तरीषी पुरस्कार, सात महान ऋषियों के नाम पर दिया जाता है। यह सम्मान वैज्ञानिक, कला, शिक्षा और सामाजिक क्षेत्रों में अद्वितीय योगदान करने वाले व्यक्तियों को दिया जाता है। तीसरे वर्ष में यह पुरस्कार न केवल व्यक्तिगत उपलब्धियों को मान्यता देता है, बल्कि भारत की प्राचीन ज्ञान परम्पराओं को भी उजागर करता है। इस समारोह में प्रमुख अतिथियों में कविकुर्गु कालीदास संस्कृत विश्वविद्यालय के उपकुलपति प्रो. हरराम त्रिपाठी, और IIM नागपुर के निदेशक डॉ. भीमराया मेत्री शामिल थे, जिससे इस कार्यक्रम की गरिमा और बढ़ी।
पिछले दो वर्षों में वैज्ञानिक क्षेत्रों में कई प्रमुख शोधकर्ता सम्मानित हुए, लेकिन इस साल का खगोल विज्ञान संबंधी सम्मान विशेष रूप से चर्चा का विषय बन गया। पुरस्कार के भाग के रूप में प्रदान किया गया सप्तरीषी पुरस्कार का आर्यभट्ट पुरस्कर, भारत के प्राचीन खगोल विज्ञान को आधुनिक तकनीक के साथ जोड़ता है।
मोहित जोशी की वैज्ञानिक यात्रा और टेलीस्कोप विकास
नैनीताल स्थित आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टिट्यूट ऑफ ऑब्ज़र्वेशनल साइंसेज़ (ARIES) में वरिष्ठ इंजीनियर के रूप में मोहित जोशी ने पिछले दशक में कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं का नेतृत्व किया। उनका प्रमुख योगदान उन्नत टेलीस्कोप डिज़ाइन में है, जिसमें हल्के वजन, उच्च रिज़ॉल्यूशन और स्वचालित डेटा संग्रहण प्रणाली शामिल हैं। इन टेलीस्कोपों ने न केवल स्थानीय शोधकर्ता समुदाय को विश्वस्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद की, बल्कि अंतरराष्ट्रीय सहयोगी परियोजनाओं में भी उपयोगी सिद्ध हुए।
जोशी ने विशेष रूप से द्रव्यीय लेंसिंग (gravitational lensing) और एक्सोप्लनेट खोज में मद्दत करने वाले उपकरणों की विकास प्रक्रिया को आसान बनाया। उनका काम ARIES के कई व्यावहारिक परियोजनाओं में लागू हुआ, जैसे कि 2.5 मीटर का नई पीढ़ी का ऑप्टिकल टेलीस्कोप, जो अब भारतीय उपग्रहों के साथ मिलकर दूरबीन डेटा रियल-टाइम प्रोसेसिंग में उपयोग हो रहा है।
पुरस्कार समारोह में डॉ. टी.एस. भाल, HRF के समन्वयक ने कहा कि जोशी की उपलब्धियों ने भारतीय खगोल विज्ञान को नई दिशा दी है। उन्होंने यह भी उकसाया कि इस तरह के योगदान से युवा वैज्ञानिकों को अनुसंधान में भाग लेने के लिए प्रेरणा मिलेगी।
साथ ही समारोह में कई अन्य प्रतिपादित व्यक्तियों को भी सम्मानित किया गया, जिनमें भारत रत्न डॉ. सीएनआर राव, पद्म विभूषण डॉ. जयंत नरालिकर, और कई पद्म श्रीनिर्देशित वैज्ञानिक और स्थापत्यकार शामिल थे। इस विविध सभा ने यह दर्शाया कि भारतीय विज्ञान, कला और संस्कृति के क्षेत्रों में समग्र विकास संभव है, जब हर क्षेत्र में उत्कृष्टता को मान्यता दी जाती है।
द्वारा लिखित Pooja Joshi
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