‘सरीपोधा सनिवारम’ फिल्म समीक्षा: नानी और एसजे सूर्या का दमदार प्रदर्शन एक मासाला एंटरटेनर में

‘सरीपोधा सनिवारम’ फिल्म समीक्षा: नानी और एसजे सूर्या का दमदार प्रदर्शन एक मासाला एंटरटेनर में

‘सरीपोधा सनिवारम’ की कहानी और निर्देशन

‘सरीपोधा सनिवारम’ एक ऐसी फिल्म है जो पुराने मुद्दों पर नई रोशनी डालती है। निर्देशक विवेक आत्रेय ने इस विगिलांटे एक्शन थ्रिलर के माध्यम से एक बार फिर दिखाया है कि एक परिचित कहानी भी दर्शकों को मोहित कर सकती है, बस इसे सही तरीके से पेश किया जाए। नानी और एसजे सूर्या की बेहतरीन एक्टिंग ने इस कहानी को चार चांद लगा दिए हैं।

फिल्म की कहानी सुर्या (नानी) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो सप्ताह के सोमवार से शुक्रवार तक एक साधारण इंश्योरेंस एजेंट होता है, लेकिन शनिवार को सामाजिक अन्याय के खिलाफ अपनी गुस्से को उबारता है। फिल्म का निर्देशन और लेखन इस तरह से किया गया है कि हर दृश्य में एक उद्देश्य और गहराई महसूस होती है।

मुख्य किरदार और अभिनय

मुख्य किरदार और अभिनय

नानी ने सुर्या के किरदार में अपनी सहजता और सजीवता को बखूबी मिश्रित किया है। उनके अभिनय में वह नजाकत है जो एक हीरो के लिए आवश्यक होती है। एसजे सूर्या का पुलिस अधिकारी दयानंद का किरदार भी उतना ही प्रभावी है, वह कहानी में एक खतरनाक और कुटिल तत्व जोड़ते हैं। दोनों की टक्कर ने फिल्म में जुनून और तनाव की सीमा को और भी बढ़ा दिया है।

प्रियंका मोहन का चरुलता का किरदार भी कहानी में एक अलग परत जोड़ता है। उनका योगदान भी सुर्या की कहानी को और मज़बूत बनाता है। सहायक किरदारों में अभिरामी, अदिति बालन और साई कुमार ने भी अपने अपने हिस्से को उचित ढंग से निभाया है।

तकनीकी पहलू और संगीत

तकनीकी पहलू और संगीत

फिल्म की सिनेमाटोग्राफी, जो मुरली जी ने की है, बहुत ही प्रभावशाली है और कहानी के हर मौहाल को अच्छी तरह कैप्चर करती है। संगीतकार जैक्स बेजॉय का म्यूजिक भी बहुत ही जोशीला और यादगार है जो फिल्म के भावनात्मक पहलुओं को और गहराता है।

निष्कर्ष

कुल मिलाकर, ‘सरीपोधा सनिवारम’ की सफलता इसका पेशा और ध्यान की बारीकियों में छिपी है। यह दिखाता है कि अच्छी कहानी और प्रभावित अभिनय बेहतरीन मनोरंजन की कुंजी होती है। बावजूद इसके, कहानी का फॉर्मूला परिचित होने के बावजूद, फिल्म देखने लायक है और विवेक आत्रेय ने इसे सही मार्गदर्शन से एक उत्कृष्ट एंटरटेनर बना दिया है।

  • Pooja Joshi

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8 टिप्पणि

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    pk McVicker

    अगस्त 30, 2024 AT 14:31
    नानी ने तो बस एक बार फिर अपना जादू चला दिया। बाकी सब बोरिंग।
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    Laura Balparamar

    अगस्त 31, 2024 AT 10:17
    एसजे सूर्या का किरदार इतना गहरा था कि मैंने सोचा ये रियल लाइफ का कोई पुलिस ऑफिसर है। नानी के साथ उनकी डायनामिक्स ने तो फिल्म को एक अलग ही लेवल पर पहुंचा दिया। इस तरह की एक्टिंग आजकल कम ही मिलती है।
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    Shivam Singh

    सितंबर 1, 2024 AT 10:44
    सिनेमाटोग्राफी तो बहुत अच्छी थी पर गाने बहुत ज्यादा दोहराए गए... जैक्स बेजॉय का म्यूजिक भी एक बार सुन लो और बाकी बंद कर दो। और हाँ चरुलता का किरदार बिल्कुल बेकार था बस दिखाने के लिए डाल दिया गया।
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    Piyush Raina

    सितंबर 2, 2024 AT 17:23
    इस फिल्म में दिखाया गया सामाजिक अन्याय का विषय भारतीय समाज के असली दर्द को छूता है। शनिवार को निकलने वाला आदमी जो सिर्फ एक इंश्योरेंस एजेंट है लेकिन अपने तरीके से न्याय करता है - ये कहानी बहुत अटूट है। विवेक आत्रेय ने इसे साधारण नहीं, बल्कि गहरे अर्थों से भर दिया है।
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    Srinath Mittapelli

    सितंबर 2, 2024 AT 23:50
    दोस्तों ये फिल्म बस एक एंटरटेनर नहीं है ये तो एक बयान है। नानी का अभिनय इतना नेचुरल है कि आप भूल जाते हैं कि ये एक अभिनेता है। और एसजे सूर्या के साथ उनकी टक्कर तो जानवरों की लड़ाई जैसी थी। फिल्म का एक्शन भी बहुत रियलिस्टिक था और संगीत ने बस एक बार बोलकर दिल छू लिया।
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    Vineet Tripathi

    सितंबर 3, 2024 AT 08:53
    मैंने इसे देखा था और बाद में एक बार और देखा। दूसरी बार तो बस नानी के चेहरे के अभिव्यक्ति पर ध्यान देने लगा। उसकी आँखों में जो भाव थे वो बिना बोले ही सब कुछ कह रहे थे।
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    Subham Dubey

    सितंबर 3, 2024 AT 20:24
    ये फिल्म क्या आपको लगता है बस एक फिल्म है? नहीं ये एक गुप्त अभियान है। शनिवार को निकलने वाला आदमी - ये नानी का किरदार - एक राष्ट्रीय नेता का प्रतीक है। और एसजे सूर्या जो पुलिस अधिकारी है वो निश्चित रूप से सरकारी एजेंट है जिसे इस नेता को नष्ट करने का आदेश दिया गया है। ये फिल्म एक राजनीतिक चेतावनी है।
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    Dipak Moryani

    सितंबर 4, 2024 AT 09:22
    क्या कोई बता सकता है कि फिल्म के अंत में जब नानी बस के बाहर खड़ा होता है और आसमान की ओर देखता है - वो दृश्य किस बात का संकेत दे रहा है? मुझे लगता है ये उसके अगले कदम का इशारा है।

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