जब एक माँ अपने बच्चों के सामने रॉड डाल दूंगा की धमकी सुनती है, तो वो सिर्फ एक शिकायत नहीं, बल्कि एक बच्चे के दिल की चीख होती है। सेलिना जेटली, बॉलीवुड की जानी-मानी अभिनेत्री, ने 25 नवंबर 2025 को मुंबई की एक स्थानीय अदालत में अपने पति पीटर हाग के खिलाफ घरेलू हिंसा, यौन शोषण और मानसिक उत्पीड़न का मुकदमा दायर किया है। उन्होंने न सिर्फ 50 करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति की मांग की, बल्कि हर महीने 1 लाख रुपये का रखरखाव भी मांगा है। ये मामला सिर्फ एक विवाह का टूटना नहीं — ये एक अभिनेत्री के जीवन के 15 सालों के चुपचाप झेले गए दर्द का आवाज़ बन गया है।
बच्चों के सामने अपमान, घर से धक्का देना — एक माँ की कहानी
सेलिना ने कोर्ट में दायर किए गए दस्तावेज़ों में बताया कि उनके तीन बच्चों में से एक की मौत जन्म के तुरंत बाद हो गई थी, और उसके तीन हफ्ते बाद ही पीटर ने उन्हें घर से धक्का देकर निकाल दिया। उस समय वो डिलीवरी के टांके भी ठीक से भरे नहीं थे, चलने में दिक्कत हो रही थी। उन्होंने पति से अपनी पैटर्निटी लीव बढ़ाने की गुहार लगाई — बस एक छोटी सी मदद के लिए। उत्तर मिला: "कम दिमाग वाली"। और फिर धक्का। पड़ोसियों ने उन्हें घर में ले आया। लेकिन दर्द तो अभी शुरू हुआ था।
रॉड डाल दूंगा, वैश्या, नौकरानी — शब्दों की हिंसा
सेलिना के वकील निहारिका करंजावाला ने रिपब्लिक टीवी को बताया कि पीटर हाग गुस्से में होश खो बैठते थे, चीजें फेंक देते थे, फर्नीचर तोड़ देते थे। लेकिन शारीरिक हिंसा से ज्यादा चोट लगी शब्दों की। बच्चों के सामने उन्हें ‘वैश्या’ कहना, ‘अप्राकृतिक’ यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर करना, और बार-बार कहना कि वो ‘नौकरानी’ जैसी लगती हैं — ये सब इमोशनल क्रूरता का खुलासा है। एक ऐसा व्यक्ति जो अपनी पत्नी की पहचान को ध्वस्त करने के लिए सुनियोजित तरीके से काम करता है, वो केवल एक बदमाश नहीं, एक नार्सिसिस्ट है।
शादी के शुरुआती दिनों से ही शोषण का शुभारंभ
2010 में ऑस्ट्रिया में शादी के समय ही पीटर ने महंगे तोहफे मांगे थे। ये शुरुआती दृष्टिकोण ही बताता है कि ये रिश्ता कभी प्यार का नहीं, बल्कि नियंत्रण का था। सेलिना ने दावा किया कि पीटर ने उनकी आर्थिक स्वतंत्रता छीन ली — बैंक खाते पर नियंत्रण, जमीन और घर का मालिकाना हक अपने नाम पर ट्रांसफर करने की कोशिश की। उनके बच्चों से भी दूर रखा गया। ऑस्ट्रियाई अदालत ने अभी तक सिर्फ रोज एक घंटे की फोन कॉल की अनुमति दी है। एक माँ के लिए ये कितना कम है? उनके बच्चे उन्हें भूल रहे हैं।
क्यों अब? 15 साल के चुप्पी के बाद आवाज़ क्यों उठाई?
इस मामले का सबसे दर्दनाक पहलू ये है कि सेलिना ने 15 साल तक चुप रहा। शायद डर के कारण। शायद बच्चों के लिए। शायद अपनी पहचान के लिए। लेकिन अब वो चुप नहीं रह सकी। उनकी वकील ने कहा — जब तक आप चुप रहते हैं, वो आपके दर्द को अपना नियम समझ लेता है। अब वो उस नियम को तोड़ रही हैं। और ये सिर्फ एक अभिनेत्री का मामला नहीं। ये लाखों भारतीय महिलाओं की कहानी है, जो अपने घरों में अकेले लड़ रही हैं।
क्या होगा अब? कोर्ट का अगला कदम
अदालत ने पीटर हाग को 12 दिसंबर 2025 तक जवाब देने का नोटिस जारी किया है। अगर वो अपने आरोपों का जवाब नहीं देता, तो अदालत उन्हें अनुपस्थिति में दोषी पाएगी। सेलिना के वकील ने कहा — "हम उम्मीद करते हैं कि न्याय होगा।" लेकिन न्याय का मतलब सिर्फ नकदी नहीं। न्याय का मतलब है कि एक माँ अपने बच्चों के साथ वापस आए। कि उसके शब्दों को नहीं, उसके दर्द को सुना जाए।
इस मामले का भारतीय समाज पर क्या असर होगा?
इस मामले ने भारत में घरेलू हिंसा के बारे में बातचीत को फिर से जगा दिया है। अक्सर हम सोचते हैं कि ये सिर्फ गरीब घरों की समस्या है। लेकिन जब एक बॉलीवुड सितारा भी अपने पति के हाथों इतना झेल रही है, तो ये समझना जरूरी है कि घरेलू हिंसा कोई वर्ग या आय का मुद्दा नहीं, बल्कि एक सामाजिक बीमारी है। इस मामले ने बताया कि जब एक महिला अपने आप को नियंत्रित करने वाले व्यक्ति के साथ रहती है, तो उसकी आत्मा धीरे-धीरे मर जाती है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
सेलिना जेटली ने 50 करोड़ रुपये क्यों मांगे हैं?
50 करोड़ रुपये की मांग उनके शारीरिक, मानसिक और आर्थिक नुकसान की क्षतिपूर्ति के लिए है। इसमें उनके जीवन के 15 सालों के दर्द, बच्चों से अलगाव, और आर्थिक नियंत्रण को शामिल किया गया है। इस रकम का उद्देश्य सिर्फ मुआवजा नहीं, बल्कि एक चेतावनी भी है कि घरेलू हिंसा का दाम भारी हो सकता है।
पीटर हाग के खिलाफ ऑस्ट्रिया में भी कोई कार्रवाई हो रही है?
हां, ऑस्ट्रिया में तलाक का मामला पहले से चल रहा है। वहां की अदालत ने सेलिना को बच्चों से रोज एक घंटे की फोन कॉल की अनुमति दी है, जो दर्शाता है कि ऑस्ट्रियाई न्यायपालिका भी उनके आरोपों को गंभीरता से ले रही है। अगर भारत में घरेलू हिंसा का आरोप साबित होता है, तो ऑस्ट्रिया भी उसे अपने कानून में शामिल कर सकती है।
इस मामले में बच्चों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जा रही है?
अदालत ने अभी तक बच्चों के साथ सीधा संपर्क की अनुमति नहीं दी है, लेकिन सेलिना के वकील ने बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक निष्पक्ष मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन की मांग की है। यही अगला कदम होगा — बच्चों को उनके जीवन के बारे में बताने के लिए एक न्यायिक बच्चा संरक्षक नियुक्त किया जा सकता है।
इस मामले ने भारत में घरेलू हिंसा के कानूनों पर क्या प्रभाव डाला है?
यह मामला भारत में घरेलू हिंसा के लिए बने आईपीसी धारा 498A और डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट की लागू होने की आवश्यकता को फिर से उजागर कर रहा है। अब लोग सोच रहे हैं कि क्या ये कानून बस लिखे हुए हैं, या वास्तविक जीवन में भी काम करते हैं? यह मामला एक टेस्ट केस बन सकता है।
द्वारा लिखित Pooja Joshi
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