श्री सिम्हा की 'मथु वदालारा 2' का विस्तृत समीक्षा और रेटिंग

श्री सिम्हा की 'मथु वदालारा 2' का विस्तृत समीक्षा और रेटिंग

फिल्म का परिचय

श्री सिम्हा कोडुरी की अभिनीत तेलुगु फिल्म 'मथु वदालारा 2' एक बार फिर दर्शकों का मनोरंजन करने के लिए तैयार है। वर्ष 2019 में आई 'मथु वदालारा' की सफलता के बाद, निर्देशक रितेश राणा ने इसका सीक्वल लाने का निर्णय लिया। इस बार कहानी दो पात्रों बाबू (श्री सिम्हा कोडुरी) और यसु (सत्य) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो डिलीवरी एजेंट्स से हाई इमरजेंसी (HE) टीम के जांचकर्ताओं में परिवर्तित हो जाते हैं।

कहानी और पात्र

फिल्म की कहानी एक काल्पनिक और हास्यप्रद तरीके से पेश की गई है, जिसमें बाबू और यसु की जांच की शुरुआत होती है। कॉमेडी, थ्रिलर और स्पूफ जैसे तत्वों को मिलाकर, यह फिल्म दर्शकों को एक अनूठा अनुभव देने की कोशिश करती है। सत्य का प्रदर्शन विशेष रूप से प्रशंसनीय है और वह फिल्म को मजेदार बनाने में सहायता करते हैं, हालांकि कहानी की धार पिछले भाग के मुकाबले थोड़ी कम हो सकती है।

लेखन और निर्देशन

रितेश राणा ने अपनी पहली फिल्म में जिस तरह की अनोखी कहानी और अद्भुत लेखन प्रस्तुत किया था, उसी तरीक को इस फिल्म में भी शामिल किया है। हालांकि, 'मथु वदालारा 2' में कहीं-कहीं पर स्क्रिप्ट की धार कम प्रतीत होती है, जो पहली फिल्म की तुलना में थोड़ी नीची पड़ जाती है। इसके बावजूद, राणा का निर्देशन और फिल्म की सोच उन्हें मूल्यवान बनाती है।

अभिनय

श्री सिम्हा कोडुरी ने बाबू के किरदार में अपने अभिनय से प्रभावित किया है। सत्य का हास्य और समयानुसार संवाद अदायगी फिल्म को जीवंत बनाता है। वेंनेला किशोर और फारिया अब्दुल्ला ने भी अपने-अपने पात्रों में जान डाली है, जिससे कहानी को मजबूती मिलती है।

संगीत और प्रोडक्शन

फिल्म का संगीत काला भैरव ने दिया है, जो देखते ही बनता है। गाने और बैकग्राउंड म्यूजिक कहानी को और मजेदार बनाते हैं। माईथ्री मूवी मेकर्स और क्लैप एंटरटेनमेंट ने इस फिल्म का प्रोडक्शन किया है, जिनकी गुणवत्ता देखने को मिलती है।

रिलीज और प्रतिक्रिया

'मथु वदालारा 2' 13 सितंबर 2024 को सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है। शुरुआती प्रतिक्रियाओं में फिल्म को खासकर युवा दर्शकों ने सराहा है, जो कॉमेडी और थ्रिलर का अनोखा मिश्रण पसंद करते हैं। पिछले भाग के प्रशंसक भी इस सीक्वल को देखकर प्रभावित हुए हैं।

निष्कर्ष

'मथु वदालारा 2' एक मनोरंजक और मजेदार फिल्म है, जिसने अपने पूर्ववर्ती की तरह दर्शकों का दिल जीतने की कोशिश की है। सत्य का उत्कृष्ट प्रदर्शन और रितेश राणा की अनोखी निर्देशन शैली ने इस फिल्म को विशेष बना दिया है। अगर आप पहली फिल्म के प्रशंसक हैं और अनोखी कॉमेडी थ्रिलर फिल्मों के शौकीन हैं, तो यह फिल्म आपके लिए जरूर देखनी चाहिए।

  • Pooja Joshi

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16 टिप्पणि

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    Laura Balparamar

    सितंबर 15, 2024 AT 02:11
    ये फिल्म तो बिल्कुल धमाकेदार है! बाबू और यसु का जोड़ा इतना मजेदार है कि दूसरी बार देखने का मन कर रहा है।
    हास्य का टाइमिंग बिल्कुल परफेक्ट है।
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    Shivam Singh

    सितंबर 15, 2024 AT 13:29
    sry but yeh sequel kya tha? pehle wali ki tarah kuch nahi tha... bas thoda zyada noise aur kuch kam dimag
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    Piyush Raina

    सितंबर 17, 2024 AT 09:49
    इस फिल्म में तेलुगु संस्कृति का एक अनूठा दर्शन है। डिलीवरी एजेंट से लेकर HE टीम तक का ट्रांसफॉर्मेशन भारतीय युवाओं की जीवनशैली का बहुत सटीक दर्पण है।
    इस तरह की फिल्में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रशंसा पानी चाहिए।
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    Srinath Mittapelli

    सितंबर 17, 2024 AT 10:35
    मैंने इसे थिएटर में देखा और असल में ये फिल्म बहुत अच्छी लगी
    क्योंकि ये बस एक कॉमेडी नहीं है ये तो एक तरह की जीवन शैली की कहानी है
    जब तक तुम अपनी जिम्मेदारियों को नहीं समझते तब तक तुम असली बदलाव नहीं ला सकते
    और ये फिल्म बिल्कुल ऐसा ही करती है
    कॉमेडी के जरिए गहरा संदेश देना बहुत मुश्किल होता है लेकिन रितेश राणा ने ये काम बेहतरीन तरीके से किया है
    और श्री सिम्हा का अभिनय तो बस एक जादू है
    उनकी आँखों में जो भाव हैं वो किसी बात की जरूरत नहीं
    और सत्य का हास्य तो बिल्कुल बेस्ट है
    उनके डायलॉग्स ने मुझे बहुत याद दिलाए कि हम अपने दिन में कितनी बार अपने आप को बहुत गंभीर लेते हैं
    इस फिल्म ने मुझे बताया कि जिंदगी को थोड़ा हल्के में लेना चाहिए
    अगर तुमने पहली फिल्म देखी है तो ये देखने के बिना नहीं रह सकते
    और संगीत भी इतना अच्छा कि एक बार सुनकर लगता है कि ये गाना तुम्हारे दिमाग में बस गया है
    मैंने इसे तीन बार देखा है और हर बार कुछ नया मिला है
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    Vineet Tripathi

    सितंबर 19, 2024 AT 00:17
    बिल्कुल फन फिल्म है। बस बैठ जाओ और मजे करो। कोई ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं।
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    Dipak Moryani

    सितंबर 20, 2024 AT 23:38
    क्या ये फिल्म असल में सीक्वल है या बस नाम बदलकर एक नई फिल्म बना दी गई?
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    Subham Dubey

    सितंबर 22, 2024 AT 21:06
    इस फिल्म का निर्माण क्लैप एंटरटेनमेंट ने किया है। क्या आप जानते हैं कि इस कंपनी के पीछे एक गुप्त संगठन है जो युवाओं को बेवकूफ बनाने के लिए ऐसी फिल्में बना रहा है? उनका लक्ष्य भारतीय युवाओं के दिमाग में अज्ञानता का बीज बोना है। ये फिल्म एक बड़ा अभियान है।
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    Rajeev Ramesh

    सितंबर 23, 2024 AT 02:33
    मैंने इस फिल्म को देखने के बाद अपने व्यावसायिक निर्णयों में बदलाव किया है। यह फिल्म ने मुझे बताया कि जीवन में गंभीरता के साथ-साथ हास्य का भी स्थान होना चाहिए।
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    Vijay Kumar

    सितंबर 23, 2024 AT 10:57
    कॉमेडी और थ्रिलर का मिश्रण बेकार है। एक तरह का बेतरतीब अर्ध-जीवन।
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    Abhishek Rathore

    सितंबर 23, 2024 AT 20:40
    मैंने इसे अपने दोस्तों के साथ देखा। सबको बहुत पसंद आया। कुछ लोगों को पहली फिल्म ज्यादा पसंद आई, लेकिन ये भी अच्छी है।
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    Rupesh Sharma

    सितंबर 25, 2024 AT 07:27
    अगर तुम जीवन में थोड़ी जोश चाहते हो तो ये फिल्म तुम्हारे लिए है। बस बैठ जाओ, खाना खाओ, और मस्ती करो। जिंदगी बहुत छोटी है बहुत गंभीर मत बनो।
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    Jaya Bras

    सितंबर 25, 2024 AT 18:05
    sry but this sequel was just a cash grab. no originality. why even bother?
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    Arun Sharma

    सितंबर 26, 2024 AT 08:27
    मैं इस फिल्म के निर्माण के लिए वित्तीय समर्थन प्रदान करने वाले संस्थानों के अंतर्गत नियंत्रण के बारे में एक विस्तृत विश्लेषण तैयार कर रहा हूँ। यह फिल्म एक व्यापारिक उत्पाद है जिसका उद्देश्य सांस्कृतिक चेतना को नियंत्रित करना है।
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    Ravi Kant

    सितंबर 27, 2024 AT 20:54
    तेलुगु फिल्मों में ये तरह की कॉमेडी बहुत कम मिलती है। ये फिल्म भारतीय युवाओं के लिए एक अच्छा उदाहरण है।
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    Harsha kumar Geddada

    सितंबर 28, 2024 AT 20:59
    इस फिल्म में जो दर्शक बाबू के किरदार को असली जीवन का प्रतीक मानते हैं वे गहरे दार्शनिक स्तर पर जी रहे हैं। बाबू का संघर्ष वास्तविक जीवन के अर्थ की खोज का प्रतीक है। जब वह डिलीवरी एजेंट होता है तो वह बाहरी दुनिया के नियमों का पालन करता है। लेकिन जब वह HE टीम में शामिल होता है तो वह आंतरिक स्वतंत्रता की ओर बढ़ता है। यह एक जीवन का चक्र है जो आधुनिक भारतीय युवा के अंदर छिपा हुआ है। हम सब बाबू हैं। हम सब अपने अर्थ की खोज में हैं। यह फिल्म बस एक कॉमेडी नहीं है। यह एक जीवन दर्शन है।
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    sachin gupta

    सितंबर 30, 2024 AT 10:06
    ये फिल्म तो बिल्कुल बेकार है। इतनी बार बाबू का नाम लेना क्या था? क्या तुम्हारे पास अपनी कहानी के लिए कोई नया नाम नहीं था? ये सब बस एक ब्रांडिंग ट्रिक है।

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