जेवलिन थ्रो क्या है? पूरी जानकारी एक नज़र में
अगर आप खेल मैदान में देखे हैं कि कोई खिलाड़ी लंबी डंडा फेंक रहा है, तो वह जैवेलिन थ्रो (जैवलिन थ्रो) कर रहा होता है। यह एथलेटिक्स की एक तकनीकी इवेंट है जिसमें लक्ष्य केवल दूरी नहीं बल्कि सही फॉर्म भी मायने रखती है।
बुनियादी नियम और मैदान का लेआउट
जैवलिन थ्रो के लिए 30 मीटर लंबी रन‑अप ज़ोन होती है, जहाँ खिलाड़ी दो या तीन कदम चलकर डंडा फेंकता है। फेंकी हुई जैवेलिन को रेखा (फॉल्ट लाइन) के आगे लैंड होना चाहिए, नहीं तो डिस्क्वालिफाई हो जाएगी। हर प्रतियोगिता में आमतौर पर छह बार फेंके का अवसर मिलता है; सबसे लंबी वैध दूरी को स्कोर माना जाता है।
सही तकनीक: ग्रिप से रिलीज़ तक
सबसे पहले ग्रिप महत्वपूर्ण है – डंडे के मध्य भाग को दो हाथों से मजबूती से पकड़ें, बाएँ (या दाहिने) हाथ को नीचे और दूसरे को ऊपर रखें। फिर तेज़ी से दौड़ते हुए बॉडी का झुका हुआ लहजा बनाएँ, कूल्हे और कंधे को एक साथ घुमाएं। फेंकते समय डंडा को ऊपरी हाथ में स्विंग करें और रिलीज़ के पलों पर नज़र लक्ष्य की ओर रखें; इससे उछाल कम और दूरी अधिक मिलती है।
ट्रेनिंग में स्ट्रेंथ, लचीलापन और स्पीड का संतुलन जरूरी है। जिम में स्क्वाट, डेडलिफ्ट और कोर एक्सरसाइज़ से पावर बढ़ेगा, जबकि योग या स्ट्रेचिंग से फॉर्म सही रहेगा। हर सत्र के बाद हल्की ड्रिल्स जैसे ‘ड्रैग फेंक’ करने से हाथ‑पैर का समन्वय सुधरता है।
भौतिक पहलू भी नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए – जैवेलिन की लंबाई (2.6 m से 2.7 m) और वजन (800 g) निर्धारित हैं। शुरुआती लोग हल्की डंडी चुन सकते हैं, फिर धीरे‑धीरे मानक वेट पर आना बेहतर रहता है।
भारत में इस खेल को लोकप्रिय बनाने वाले कुछ नाम याद रखिए – नेहा बिस्वास, जो एशिया गेम्स की मीडल जीत चुकी हैं, और मोनिका सिंगह के पास भी कई राष्ट्रीय रिकॉर्ड हैं। उनकी ट्रेनिंग रूटीन अक्सर सोशल मीडिया पर साझा होती है, जिससे नए खिलाड़ियों को दिशा मिलती है।
प्रतियोगिता में ध्यान रखने योग्य बातें – फॉल्ट लाइन से बहुत नजदीक फेंकना बचें, क्योंकि छोटा सा भी ओवरस्टेप डिस्टेंस को रद्द कर सकता है। साथ ही मौसम का असर देखना जरूरी है; तेज़ हवा जैवेलिन के उड़ान पथ को बदल देती है, इसलिए उस दिन की रणनीति बदलनी पड़ सकती है।
यदि आप घर पर अभ्यास करना चाहते हैं तो छोटा प्लास्टिक जैवेलिन और रबर ग्रिप वाला डंबल इस्तेमाल कर सकते हैं। पहले हल्की दूरी से शुरू करें, फिर धीरे‑धीरे फॉर्म को सुधारते हुए दूरी बढ़ाएँ। हर बार रिकॉर्ड रखें, इससे प्रगति का पता चलेगा।
अंत में याद रखिए – जैवेलिन थ्रो सिर्फ ताकत नहीं बल्कि तकनीक की कला है। निरंतर अभ्यास, सही उपकरण और खेल के नियमों की समझ से आप भी अपनी दूरी बढ़ा सकते हैं और प्रतियोगिता में सफल हो सकते हैं। अब देर न करें, मैदान पर जाएँ और अपने पहले फेंक को ट्रैक करिए!
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