क़ुरबानी के नियम – समझिए सही तरीका
ईद‑उल‑अज़हा पर हलाल जिव को कुर्बान करना हर मुसलमान की इबादत में अहम हिस्सा है। लेकिन कई लोग नियमों को लेकर उलझन में रहते हैं। चलिए, सरल शब्दों में जानते हैं कि कब, कैसे और किन चीज़ों का ध्यान रखना चाहिए।
कुर्बानी का समय और पात्रता
ईद‑उल‑अज़हा की शुरुआत 12 ज़ुहल‑हिज्जा से होती है, पर कुर्बान केवल दो दिन (13‑14) तक ही वैध है। अगर आप इस अवधि में नहीं कर पाए तो बाद में कुर्बान नहीं माना जाएगा। पात्रता के लिए शारीरिक और वित्तीय दोनों क्षमता चाहिए – अर्थात् आपका पास पर्याप्त धन हो जिससे आप अपने परिवार की ज़रूरतें पूरी कर सकें, फिर बाकी का हिस्सा कुर्बान के लिये दें।
नाबालिग बच्चों को भी कुर्बानी में शामिल किया जा सकता है, पर उनके लिए छोटे‑छोटे जिव जैसे बकरी या भेड़ बेहतर होते हैं। वयस्कों को बड़े पशु – बैल, ऊँट, गाय – चुनने का अधिकार है, बशर्ते वह शरिया के मानक अनुसार हो और रोग‑मुक्त हो।
कुर्बानी की प्रक्रिया और सफ़ाई
सबसे पहले जिव को अच्छे से जांचें: कोई चोट, रोग या गंदगी नहीं होनी चाहिए। फिर उसे पानी में साफ करें, लेकिन बहुत ज्यादा रगड़ने से बचें – इससे खून निकल सकता है जो शरिया में माना जाता है कि वर्जित है। हलाल कतरन उपकरण जैसे तेज़ चाकू का उपयोग करें और सुनिश्चित करें कि जिव को एक ही बार काटा जाए।
कटाई के बाद, मांस को तीन हिस्सों में बांटा जाता है: एक भाग खुदा‑बख्शी (जाहिर) के लिये, दूसरा गरीबों और जरूरतमंदों को दिया जाता है, और तीसरा अपने परिवार को रखें। यह वितरण न सिर्फ सामाजिक सहयोग को बढ़ावा देता है बल्कि इबादत की पूरी भावना भी स्थापित करता है।
यदि आप शहर में रहते हैं तो स्थानीय मस्जिद या सरकारी अनुमति वाले बैनर के तहत कुर्बान कर सकते हैं। कई नगर पालिकाएँ नियोजित स्थलों पर जिव का कतरन करती हैं, जहाँ सफ़ाई और स्वास्थ्य मानक सुनिश्चित होते हैं। इससे आपका काम भी आसान हो जाता है और किसी भी कानूनी समस्या से बचते हैं।
ध्यान रखें कि कुर्बान के बाद मांस को सही तापमान पर रखकर खाना चाहिए – अगर दो घंटे से ज्यादा बाहर रखा जाए तो वह खराब हो सकता है। इसे फ्रिज में स्टोर करें या तुरंत पकाकर परिवार और जरूरतमंदों तक पहुंचाएं।
कुर्बानी का उद्देश्य अल्लाह की खुशी जीतना, दान‑धर्म करना और समाज को एकजुट करना है। इसलिए नियमों को सही ढंग से अपनाना सिर्फ रिवाज़ नहीं, बल्कि इबादत में गहराई लाता है। अगर आप इन बुनियादी बातों को याद रखेंगे तो ईद‑उल‑अज़हा की खुशी और भी बढ़ जाएगी।
आख़िर में यह कहना चाहूँगा कि कुर्बानी आसान नहीं, पर सही जानकारी से कोई भी इसे ठीक‑ठीक कर सकता है। अगर आपके पास अभी तक स्पष्ट योजना नहीं है, तो अपने नजदीकी इमाम या मस्जिद से संपर्क करें – वे हमेशा मदद करने को तैयार रहते हैं।
बकरीद 2024: ईद-उल-अज़हा के नियम, शर्तें, तथ्य और इस्लाम में महत्त्व

बकरीद या ईद-उल-अज़हा इस्लाम के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जो इस्लामी महीने जु अल-हिज्जा की 10वीं तारीख को मनाया जाता है। 2024 में यह सोमवार, 17 जून को पड़ेगा। इस दिन कुर्बानी का महत्व होता है, जो आस्था का एक महत्वपूर्ण कृत्य माना जाता है। कुर्बानी के लिए जानवर की उम्र और स्वास्थ्य, कुर्बानी की दिशा, और मांस का वितरण आदि विशेष नियम और शर्तें हैं।
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