सोलर सेल क्या है? सरल शब्दों में समझें
सोलर सेल एक छोटा सा उपकरण होता है जो सूरज की रोशनी को सीधे बिजली में बदल देता है। ये छोटे‑छोटे सिलिकॉन पैनल होते हैं जिन्हें हम अक्सर रूफ या बड़े फील्ड में देखते हैं। जब सूर्य की रौशनी पैनलों पर पड़ती है, तो इलेक्ट्रॉनों का बहाव शुरू होता है और वही से विद्युत धारा बनती है।
सोलर सेल कैसे काम करता है?
सिलिकॉन की दो लेयरें—एक नकारात्मक (एन) और एक सकारात्मक (पी)—जुड़ी होती हैं। सूरज की रोशनी इन लेयर्स में फोटॉनों को उत्पन्न करती है, जो इलेक्ट्रॉनों को मुक्त कर देती है। ये मुक्त इलेक्ट्रॉन पैनल के टर्मिनलों से निकलते हैं और घर या व्यवसाय में उपयोगी बिजली बनाते हैं। प्रक्रिया में कोई चलने वाला भाग नहीं होता, इसलिए सोलर सेल बहुत कम रख‑रखाव की मांग करता है।
सौर ऊर्जा का एक बड़ा फायदा यह है कि इसे जहाँ‑जहाँ सूरज मिलता है, वहाँ इस्तेमाल किया जा सकता है—ग्राम से लेकर बड़े शहरों तक। साथ ही बिजली के बिल में बड़ी बचत होती है और कार्बन उत्सर्जन घटता है, जिससे पर्यावरण भी साफ़ रहता है।
घर या व्यवसाय में सोलर सेल लगाने के आसान कदम
1. साइट सर्वे: सबसे पहले यह देखिए कि आपके रूफ पर पर्याप्त धूप आती है या नहीं। दक्षिण‑मुखी छतें आम तौर पर बेहतर होती हैं।
2. पावर जरूरत का अंदाज़ा: आपका घर रोज़ाना कितना बिजली इस्तेमाल करता है, इसे किलवाट‑घंटे (kWh) में निकालिए। यह आंकड़ा तय करेगा कि आपको कितनी पैनल्स चाहिए।
3. पैनल की क्वालिटी चुनें: भारत में कई ब्रांड उपलब्ध हैं—टाटा पॉवर, एचएसएल, और अंतरराष्ट्रीय कंपनियां जैसे सोलरएडज आदि। दक्षता (Efficiency) देखिए; 20%‑22% वाला पैनल बेहतर उत्पादन देता है।
4. स्थापना: अनुभवी इंस्टालर को चुनें। वे सही एंगल, माउंटिंग स्ट्रक्चर और वायरिंग की जाँच करेंगे। अगर आप रेंट पर रह रहे हैं तो किराए के साथ सोलर लीज़ भी देख सकते हैं।
5. इन्वर्टर और बैटरियाँ: पैनल से DC बिजली को AC में बदलने के लिए इन्वर्टर ज़रूरी है। अगर आप रात‑भर या बिना ग्रिड की स्थिति में चलना चाहते हैं तो लिथियम बैटरी जोड़ें।
6. सरकारी योजना और सब्सिडी: भारत सरकार सौर परियोजनाओं पर विभिन्न छूट देती है—जैसे कि आयात कस्टम ड्यूटी में रियायत, टैक्स क्रेडिट और स्टेट‑लेवल सब्सिडी। आप अपने राज्य की बिजली विभाग या MSME साइट से नवीनतम जानकारी ले सकते हैं।
7. रख‑रखाव: पैनल को साफ़ रखें, हर 6 महीने में हल्के साबुन और पानी से धुलाई करें। इन्वर्टर की जांच वार्षिक करवाएँ। अधिकांश कंपनियों की वॉरंटी 10 साल तक होती है, इसलिए खरीदते समय इसे देखना न भूलें।
सोलर सेल लगवाने से पहले यह भी सोचिए कि आप कितनी बचत चाहते हैं और कितना निवेश कर सकते हैं। शुरुआती लागत कुछ अधिक लग सकती है, पर 5‑7 साल में बिल की बचत इसको वापस लेकर आती है। अगर आपके पास बड़ी जगह है तो बड़े प्रोजेक्ट के लिए ग्रिड‑टाई एग्रीमेंट (PPA) भी विचार करें—आप अपने अतिरिक्त बिजली को सीधे कंपनी को बेच सकते हैं।
सौर ऊर्जा न केवल आपका खर्चा घटाता है, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिये स्वच्छ पर्यावरण बनाता है। अब देर न करके सोलर सेल लगवाएं और हर दिन सूरज से मिलने वाली मुफ्त बिजली का फायदा उठाएँ।
ब्लैकरॉक ने भारत की दूसरी सबसे बड़ी सोलर सेल निर्माता कंपनी में हिस्सेदारी खरीदी

ब्लैकरॉक, एक वैश्विक निवेश प्रबंधन फर्म, ने हाल ही में भारत की दूसरी सबसे बड़ी सोलर सेल निर्माण कंपनी में हिस्सेदारी खरीदी है। यह निवेश भारत में नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में ब्लैकरॉक की बढ़ती रुचि को दर्शाता है। यह अधिग्रहण भारत के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों को पूर्ण करने में मदद कर सकता है और विदेशी निवेश की संभावना को बढ़ावा देता है।
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