तुलसी विवाह कैसे करें - आसान तरीका और महत्व

आपने शायद सुना होगा कि कई लोग अपनी घर की तुलसी को ‘शादी’ कराते हैं। यह सिर्फ एक पुरानी रिवाज़ नहीं, बल्कि शुद्धि, सुख‑समृद्धि और परिवार के स्वास्थ्य से जुड़ी मान्यताएँ भी हैं। अगर आप इस रिवाज़ को सही तरीके से अपनाना चाहते हैं तो नीचे दिए गए कदम आपके काम आएँगे।

कब और क्यों करना चाहिए?

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तुलसी विवाह का सबसे अच्छा समयविषुव (अधिकांश सालों में मार्च‑अप्रैल) या रौला पूर्णिमा माना जाता है। इन दिनों सूर्य के प्रकाश की तीव्रता अधिक होती है, जिससे पौधे की ऊर्जा बढ़ती है और अनुष्ठान का प्रभाव भी दोगुना माना जाता है। रिवाज़ करने से घर में नकारात्मक ऊर्जा कम होती है, शांति आती है और पति‑पत्नी के बीच समझदारी बढ़ती है।

तुलसी विवाह की सामग्री और चरण

सामग्री:

  • एक पवित्र तुलसा (ज्यादा से ज्यादा पाँच साल पुरानी)
  • नया कढ़ाई या मिट्टी का बर्तन (जिसमें पौधा पहले से न हो)
  • हल्दी, चन्दन, घी और शुद्ध तेल
  • सफ़ेद कपड़ा, रंगीन वस्त्र और मोती के हार
  • धूप, अगरबत्ती और नैवेद्य (फालूदा या मीठे चावल)

कदम:

  1. तुलसी को साफ पानी से धोएँ और हल्के हाथों से सुखाएँ। फिर उसकी पत्तियों पर थोड़ा घी लगाएँ – यह ‘आशीर्वाद’ का प्रतीक है।
  2. नया बर्तन या कढ़ाई में मिट्टी भरें, ऊपर थोडा लाल रंग (कुंकुम) डालें और एक छोटा दीपक जलाएँ।
  3. तुलसी को इस बर्तन के मध्य में रखें, उसके चारों ओर सफेद कपड़े की चादर बिछाएँ।
  4. धूप‑अगरबत्ती जलाकर वातावरण को शुद्ध करें। फिर तुलसी के सामने नारियल का तेल डालें और ‘विवाह मंडप’ बनाएं।
  5. परिवार के सदस्य (कम से कम दो) गावे, “तुलसी जी को हमारे घर में स्वागत है” जैसे छोटे मंत्र। इसके बाद हल्दी‑चन्दन लिपटा कपड़ा बांधें – यह शुद्धिकरण का प्रतीक है।
  6. रहस्यपूर्ण ‘विवाह’ के लिए तुलसी की जड़ से एक छोटा मोती का हार बनाकर उसकी गर्दन में डालें, जैसे शादी में दुल्हे‑दुल्हन को गले लगाते हैं।
  7. अंत में नैवेद्य चढ़ाएँ – मीठे चावल, फालूदा या फल। यह ‘समृद्धि’ के लिए किया जाता है। सभी ने हाथ जोड़कर शांति की प्रार्थना करें और दीपक बंद कर दें।

रिवाज़ के बाद तुलसी को रोज़ पानी देना न भूलें, और हर शुक्रवार को एक बार उसके सामने हल्का ‘अर्घ्य’ रखें। इससे पौधा स्वस्थ रहेगा और आपके घर में सुख‑समृद्धि बनी रहेगी।

ध्यान दें: यदि आप वैवाहिक समस्या से जूझ रहे हैं तो यह रिवाज़ अकेले समाधान नहीं है, परंतु इसे सकारात्मक सोच के साथ अपनाने से मन को शांति मिलती है। अपने जीवनसाथी के साथ खुले‑खुले बातचीत रखें और इस अनुष्ठान को एक ‘सम्बन्ध सुदृढ़ करने’ की प्रक्रिया समझें।

अंत में, तुलसी विवाह केवल धार्मिक कर्म नहीं; यह हमारे परिवार की स्वास्थ्य‑सुरक्षा, आर्थिक स्थिरता और भावनात्मक संतुलन के लिए एक छोटा कदम है। इसे सरल रखें, मन से करें और परिणाम खुद ही दिखेगा।

तुलसी विवाह 2024: शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व पर विस्तृत जानकारी

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तुलसी विवाह एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी को मनाया जाता है। 2024 में यह 13 नवंबर को मनाया जाएगा। यह त्योहार तुलसी माता और भगवान शालिग्राम, जो भगवान विष्णु का एक रूप हैं, के विवाह को दर्शाता है। इस त्योहार का महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में जानकारी देने वाला यह लेख भक्तों के लिए मार्गदर्शिका है।

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