ट्रम्प की टैरिफ घोषणा और तुरंत असर
अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प ने 1 अक्टूबर 2025 से भारत सहित कई देशों से आयातित दवाओं पर 100% टैरिफ लागू करने का ऐलान किया। इस कदम का उद्देश्य घरेलू फार्मा उद्योग को सुरक्षित करना बताया गया, लेकिन निवेशकों को झटका लगा। 26 सितंबर 2025 को नॅश्नल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर फार्मा सेक्टर के प्रमुख स्टॉक्स, जैसे दविसंस, लाइफको, और एशियन फार्मास्युटिकल्स, लगभग 5‑7% गिरावट दिखा रहे थे।
विश्लेषकों ने बताया कि टैरिफ के कारण न केवल निर्यात‑आदान‑प्रदान पर असर पड़ेगा, बल्कि भारतीय कंपनियों की लागत संरचना भी बदल जाएगी। इस स्थिति में कई निवेशकों ने अपने पोर्टफोलियो को रिड्यूस कर दिया, जिससे मार्केट में बेचने का दबाव बढ़ा।

बाजार में धीरे‑धीरे उछाल के संकेत
टैरिफ घोषणा के बाद दो हफ्ते बीतते‑बीते नॅस्डैक रेज़िलिएंस इंडेक्स में हल्की सी स्थिरता देखने को मिली। कई बड़े संस्थागत फंडों ने अपने होल्डिंग्स को पुनः मूल्यांकन किया और कुछ ने मौजूदा गिरावट को खरीद के अवसर के रूप में देखा। इस बीच, तकनीकी विश्लेषण के अनुसार, NIFTY फार्मा एन्ड लाइफ साइंसेज (NIFTY PHARMA) ने 10‑दिन के मूविंग एवरेज को क्रॉस‑ओवर किया, जो बाजार में उलटफेर का एक सकारात्मक संकेत माना गया।
- ज्यादातर फार्मा कंपनियों ने अपने आयात‑निर्यात रणनीति में बदलाव की घोषणा की, जिससे निवेशकों को भरोसा मिला।
- विदेशी आयातकों के लिए वैकल्पिक सप्लायर ढूँढना आसान हो रहा है, जिससे सप्लाई चेन में बाधा कम हुई।
- कई एसेट मैनेजर्स ने रिस्क मैनेजमेंट टूल्स का प्रयोग करके अपने पोर्टफोलियो को हेज किया, जिससे बाजार में स्थिरता आई।
इन बिंदुओं को देखते हुए, ट्रम्प टैरिफ के शुरुआती नकारात्मक प्रभाव के बावजूद, भारतीय शेयर बाजार में धीरे‑धीरे पुनरुत्थान के संकेत स्पष्ट हो रहे हैं। निवेशकों को अब सावधानीपूर्वक रिवर्सीवल पॉइंट की तलाश करनी होगी, क्योंकि आगे भी नीति परिवर्तन और अंतरराष्ट्रीय वजनदार संकेत बाजार को दिशा देंगे।
द्वारा लिखित Pooja Joshi
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