वायनाड में हर साल होने वाले भूस्खलन के पीछे के कारण: चट्टान से घिरे केरल वायनाड की तबाही का मुख्य कारण

वायनाड में हर साल होने वाले भूस्खलन के पीछे के कारण: चट्टान से घिरे केरल वायनाड की तबाही का मुख्य कारण

वायनाड में हर साल होने वाले भूस्खलन: एक गंभीर पर्यावरणीय समस्या

वायनाड, केरल का एक प्रसिद्ध जिला है जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और खड़ी ढलानों के लिए जाना जाता है। लेकिन हर साल, यह क्षेत्र भयंकर भूस्खलन का सामना करता है, जिससे न केवल संपत्ति का नुकसान होता है बल्कि कई लोगों की जान भी जाती है।

भूस्खलन के पीछे कई कारण होते हैं, जिनमें सबसे प्रमुख कारण क्षेत्र का भौगोलिक स्वरूप है। वायनाड पश्चिमी घाट की पहाड़ियों पर स्थित है, जो एक प्राचीन पर्वत श्रृंखला है और इसकी मिट्टी की संरचना में लैटराइट और कैओलिनाइट का प्रभुत्व है। यह मिट्टी काफी हद तक कटाव के प्रति संवेदनशील होती है। जब तेज बारिश होती है, तो यह मिट्टी जल की तेजी से अधिकतम स्तर तक कट जाती है, जिससे भूस्खलन का खतरा और बढ़ जाता है।

भूस्खलन के पर्यावरणीय कारक

पर्यावरणीय कारक भी भूस्खलन की समस्या को बढ़ावा देते हैं। वनों की तेज कटाई और अवैध खनन गतिविधियाँ, जो क्षेत्र के पारिस्थितिकी में असंतुलन पैदा करती हैं, भी भूस्खलन की संख्या और तीव्रता में वृद्धि का मुख्य कारण हैं। निर्माण कार्य, जैसे की बिना उचित योजना और निष्पादन के सड़कों और भवनों का निर्माण, भी मिट्टी की संरचना को कमजोर करता है और इसे भूस्खलन के प्रति और अधिक संवेदनशील बनाता है।

डॉ. एस. श्रीकुमार, एक प्रसिद्ध भूविज्ञानी, ने बताया कि वायनाड की अनूठी स्थलाकृति, जिसमें खड़ी ढलानें और गहरे घाटियाँ शामिल हैं, भी भूस्खलन की संभावना को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जल तेजी से बहता है और मिट्टी को कटाव के प्रति संवेदनशील बना देता है।

स्थायी विकास की दिशा में सुझाव

भूस्खलन की समस्या को कम करने के लिए और अधिक सतर्कता और स्थायी विकास के लिए प्रयास की आवश्यकता है। विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि इस क्षेत्र में और कड़े विनियमन और जन-जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है। उदाहरण के लिए, वनीकरण परियोजनाओं को बढ़ावा देकर और बिना अनुमति के निर्माण कार्यों पर सख़्त निगरानी रखकर पर्यावरणीय संतुलन को बहाल किया जा सकता है।

स्थानीय प्रशासन को भी चाहिए कि वे स्थानीय लोगों को भूस्खलन के खतरों से अवगत कराएं और उन्हें इस समस्या के समाधान में शामिल करें। यह स्थानीय पारिस्थितिकी को संरक्षित करने और लंबे समय तक स्थिरता बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।

भूस्खलन के खतरों को ध्यान में रखते हुए, यह जरूरी है कि निर्माण कार्यों की योजना अच्छी तरह से बनाई जाए और उन्हें सही ढंग से निष्पादित किया जाए। इसके अलावा, जल निकासी प्रणालियों में भी सुधार लाने की आवश्यकता है ताकि पानी की तेजी से बहने वाली धारा को नियंत्रित किया जा सके और मिट्टी के कटाव को रोका जा सके।

निष्कर्ष

वायनाड में हर साल होने वाले भूस्खलन के पीछे कई जैवभौगोलिक और पर्यावरणीय कारक हैं। तेज बारिश, वनों की कटाई, मानवीय गतिविधियाँ, और क्षेत्र की स्थलाकृति सभी मिलकर मिट्टी की संरचना को कमजोर करती हैं, जिससे भूस्खलन का खतरा बढ़ जाता है। स्थायी विकास, उचित योजना, और जन-जागरूकता के माध्यम से ही इन खतरों को कम किया जा सकता है। वायनाड की प्राकृतिक सुंदरता और पारिस्थितिकी को संरक्षित रखना हम सभी की जिम्मेदारी है और इसके लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है।

  • Pooja Joshi

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19 टिप्पणि

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    Raj Kamal

    जुलाई 31, 2024 AT 01:36

    ये भूस्खलन हर साल होते ही हैं और हम सब बस इसे देखते रह जाते हैं... मैंने वायनाड में एक बार घूमने गया था, वहां की ढलानें देखकर लगा जैसे पूरी जमीन फिसल रही हो। लेकिन अगर हम वनों की कटाई बंद कर दें, तो कम से कम 40% तो रोक सकते हैं। मैंने देखा है कि जहां जंगल घने हैं, वहां मिट्टी बहुत ज्यादा नहीं बहती। लेकिन अभी तो लोग बस नए रेस्टोरेंट और होटल बना रहे हैं, बिना किसी अध्ययन के। ये सब तो बस टूरिस्ट ट्रैफिक के नाम पर हो रहा है। अगर अभी कुछ नहीं किया तो अगले 10 साल में वायनाड का एक बड़ा हिस्सा बह जाएगा। और फिर कौन जिम्मेदार होगा? बस एक टीवी रिपोर्ट और फिर भूल जाएंगे।

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    Rahul Raipurkar

    अगस्त 1, 2024 AT 09:07

    इस समस्या का वास्तविक कारण मानवीय अहंकार है। हमने प्रकृति को अपना उपकरण समझ लिया है, जबकि वह हमारी माता है। भूस्खलन केवल प्रकृति का एक चेतावनी संकेत है - हमने उसकी सीमाओं को तोड़ दिया है। विकास का नाम लेकर हमने गहरी जड़ों वाले वृक्षों को काट दिया, जो सैकड़ों सालों से भूमि को स्थिर रख रहे थे। यह न केवल एक पर्यावरणीय विफलता है, बल्कि एक आध्यात्मिक असफलता भी।

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    Soumita Banerjee

    अगस्त 2, 2024 AT 01:30

    ये सब तो बस एक और लोकप्रिय ट्रेंड है। भूस्खलन? बहुत दिलचस्प। लेकिन क्या कोई असली डेटा देता है? जिस तरह से ये आर्टिकल लिखा गया है, बिल्कुल एक एकेडमिक पेपर जैसा। लेकिन वास्तविकता? ये सब बस ब्यूरोक्रेट्स के लिए फंडिंग के लिए बनाया गया है। जब तक हम लोग अपने घरों के पीछे एक बरामदा बना रहे हैं, तब तक कोई समाधान नहीं होगा।

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    Navneet Raj

    अगस्त 2, 2024 AT 13:22

    मैं एक जंगली जगह में बड़ा हुआ हूँ, और मैं बता सकता हूँ कि जब तक लोग अपने आसपास के वातावरण के साथ सामंजस्य नहीं बनाएंगे, तब तक ये समस्याएं बनी रहेंगी। वायनाड के लोगों को अपनी पहाड़ियों के साथ जीना सीखना होगा, न कि उन्हें बदलने की कोशिश करनी होगी। छोटे-छोटे कदम - जैसे बांध बनाना, बरामदे नहीं बनाना, और पेड़ लगाना - इन्हें अपनाने से बहुत कुछ बदल सकता है।

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    Neel Shah

    अगस्त 2, 2024 AT 14:04

    ये सब तो सरकार का षड्यंत्र है!!! 🤫💣 अगर भूस्खलन नहीं होते तो लोग बस घरों में बैठे रहते... लेकिन जब तब भूस्खलन होते हैं, तो फिर सरकार फंड निकालती है, नए रिपोर्ट बनाती है, और फिर... फिर कुछ नहीं होता! और फिर वो लोग जिन्होंने अपने घर बनाए थे... वो गायब हो जाते हैं! 😭🔥

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    shweta zingade

    अगस्त 3, 2024 AT 16:00

    मैं यहाँ बस एक छोटी सी बात कहना चाहती हूँ - हर एक बूंद पानी के लिए एक जड़ ज़रूरी है! 🌱 जब तक हम एक पेड़ नहीं लगाएंगे, तब तक ये तबाही बंद नहीं होगी। मैंने अपने गाँव में 500 पेड़ लगाए हैं - और अब वहाँ भूस्खलन की आवृत्ति 70% कम हो गई है! अगर मैं कर सकती हूँ, तो आप भी कर सकते हैं। बस एक दिन निकाल लो - एक पेड़ लगाओ। ये बदलाव शुरू होगा।

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    Pooja Nagraj

    अगस्त 4, 2024 AT 22:52

    इस लेख में विश्लेषण का अभाव है। क्या आपने कभी वायनाड के भूगर्भीय नमूनों का विश्लेषण किया है? क्या आप लैटराइट की जल धारण क्षमता के सापेक्ष वृक्षों के मूल तंत्र के गहराई के आंकड़े जानते हैं? नहीं। तो फिर आप इसे ‘समाधान’ क्यों कह रहे हैं? यह एक आकलन नहीं, बल्कि एक वास्तविकता के विरुद्ध एक नाटकीय अभिनय है।

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    Anuja Kadam

    अगस्त 5, 2024 AT 23:32

    मैंने भी वायनाड में रहने की कोशिश की थी... लेकिन बारिश के दिन तो घर के बाहर जाना भी डरावना लगता था। मिट्टी चली जाती थी, और रास्ते बंद हो जाते थे। लेकिन सबसे बड़ी बात - लोग अभी भी नए घर बना रहे हैं... बिल्कुल उसी जगह पर जहां पिछले साल भूस्खलन हुआ था। ये तो बस आत्महत्या है।

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    Pradeep Yellumahanti

    अगस्त 6, 2024 AT 03:03

    केरल में भूस्खलन? अच्छा... तो फिर आप लोग वहाँ के बारिश के दिनों में बाइक पर नहीं जाते? हमारे यहाँ तो बारिश में चलना भी असंभव है, लेकिन क्या हम उसके लिए पूरे पहाड़ को तबाह कर देते हैं? नहीं। हम बस बरसात में बैठ जाते हैं। शायद हमें भी इसी तरह सीखना चाहिए - बारिश के साथ रहना, न कि उसे रोकना।

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    Shalini Thakrar

    अगस्त 8, 2024 AT 01:18

    प्रकृति के साथ जीने का मतलब है - सुनना। वायनाड के पहाड़ आज भी चिल्ला रहे हैं... लेकिन क्या हम सुन रहे हैं? 🌿 जब हम वृक्ष काटते हैं, तो हम उसकी आवाज़ बंद कर देते हैं। जब हम रास्ते बनाते हैं, तो हम उसकी धड़कन रोक देते हैं। अगर आप एक बार शाम को एक खाली घाटी में बैठ जाएँ... तो आप सुन सकते हैं - वहाँ एक दर्द है। और वो दर्द हमारे कर्मों से आया है।

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    pk McVicker

    अगस्त 9, 2024 AT 21:01
    ये सब बकवास है।
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    Laura Balparamar

    अगस्त 10, 2024 AT 06:32

    मैं एक जिला अधिकारी हूँ। मैं इस बारे में अपने आंकड़े देख चुकी हूँ। वायनाड में 80% भूस्खलन अवैध निर्माण के कारण होते हैं। हमने 2022 में 127 अवैध इमारतें गिराईं - लेकिन अगले ही महीने वहीं नए बांध बन गए। लोग डरते हैं, लेकिन अपने लाभ के लिए डर को नज़रअंदाज़ कर देते हैं। जनता को जागरूक करना होगा - न कि सिर्फ नियम बनाना।

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    Shivam Singh

    अगस्त 11, 2024 AT 16:51

    मैंने भी वायनाड में एक बार एक घर बनवाया था... लेकिन बारिश में जब मिट्टी बह गई, तो मैंने खुद उसे ढाह दिया। अब मैं एक छोटी सी चाय की दुकान चलाता हूँ - ऊपर की चोटी पर। लोग आते हैं, बैठते हैं, और बारिश को देखते हैं। कभी-कभी लगता है - शायद यही सही जीवन है। बस एक चाय, एक दृश्य, और एक शांति।

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    Piyush Raina

    अगस्त 13, 2024 AT 14:43

    मैं एक भूवैज्ञानिक हूँ, और मैं आपको बताता हूँ - ये समस्या सिर्फ वायनाड की नहीं है। पूरे पश्चिमी घाट में यही हो रहा है। लेकिन कोई नहीं देख रहा। जब तक हम जनता को नहीं सिखाएंगे कि वे अपने घर के लिए कौन सी जगह चुनें, तब तक ये ट्रैजेडी जारी रहेगी। हमारे पास डेटा है - लेकिन इसे लोगों तक पहुँचाने का कोई तरीका नहीं है।

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    Srinath Mittapelli

    अगस्त 15, 2024 AT 06:52

    मैं एक गाँव का शिक्षक हूँ। हमने अपने बच्चों को एक छोटा सा प्रोजेक्ट दिया - अपने आसपास के पहाड़ों के बारे में जानकारी इकट्ठा करो। अब वो बच्चे अपने माता-पिता को बता रहे हैं कि कहाँ घर बनाना खतरनाक है। बच्चे बदल रहे हैं - और जब बच्चे बदलते हैं, तो पूरा समाज बदल जाता है। ये सिर्फ एक छोटा सा कदम है, लेकिन ये असली है।

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    Vineet Tripathi

    अगस्त 16, 2024 AT 09:43

    मैं तो बस एक बार वहाँ गया था... लेकिन उस दृश्य को भूल नहीं पाया। एक बूढ़ी औरत अपने घर के सामने एक पेड़ के नीचे बैठी थी। उसने कहा - ‘इस पेड़ ने मेरे बच्चे की जान बचाई थी।’ मैंने उस दिन सीखा - कभी किसी को नहीं बताया, लेकिन अब मैं हर साल एक पेड़ लगाता हूँ। शायद यही असली समाधान है।

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    Dipak Moryani

    अगस्त 17, 2024 AT 09:40

    क्या इस बारे में कोई स्थानीय भाषा में जागरूकता अभियान हुआ है? ज्यादातर लोग अंग्रेजी या हिंदी में नहीं समझते। अगर हम जागरूकता तमिल, मलयालम या कन्नड़ में नहीं लाएंगे, तो ये सब बस एक लिखित रिपोर्ट रह जाएगा।

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    Subham Dubey

    अगस्त 18, 2024 AT 02:22

    ये सब एक बड़ा षड्यंत्र है। सरकार और वैश्विक निवेशक इसे जानबूझकर बढ़ा रहे हैं। भूस्खलन के बाद जब घर बर्बाद हो जाते हैं, तो उनकी जगह पर टूरिस्ट रिसॉर्ट बनते हैं। ये सब एक योजना है - लोगों को उनके घरों से निकालना, और फिर उनकी जमीन बेचना। आपको यकीन है कि ये ‘भूस्खलन’ नहीं, बल्कि एक अप्रकाशित नीति है?

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    Rajeev Ramesh

    अगस्त 18, 2024 AT 11:39

    प्रशासनिक अधिकारियों को अपने निर्णयों के लिए जवाबदेह बनाया जाना चाहिए। अवैध निर्माण के लिए अधिकारियों की अनुमति देना एक अपराध है। इसे आपराधिक अपराध के रूप में दर्ज किया जाना चाहिए। कोई भी अधिकारी जो इस तरह के निर्णय लेता है, उसे तुरंत निलंबित किया जाना चाहिए।

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