हरियाणा में राजनीतिक संग्राम
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 का समय आ गया है और इस बार प्रदेश के सियासी मंच पर खासा गहमागहमी देखी जा रही है। प्रमुख पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को लगातार तीसरी बार सत्ता में आने के लिए एक कठिन परीक्षण से गुजरना होगा। इसे देखते हुए कांग्रेस पार्टी का उत्साह दोगुना हो गया है क्योंकि वे एक लंबे समय के बाद सत्ता पुनः प्राप्त करने की कोशिश कर रहे हैं।
हरियाणा की जनता इस आधिकारिक अवधि के दौरान कई मुद्दों का सामना कर रही है। हालांकि, भाजपा अपने विकास कार्यों को मुख्य ध्यान में रखकर जनता के बीच पुरजोर समर्थन जुटाने का प्रयास कर रही है। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस भी अपने पिछले कार्यकाल के विकास कार्यों का हवाला देते हुए जनता से ज्यादा समर्थन मांग रही है।
भाजपा और कांग्रेस के बीच मुकाबला
भाजपा की डबल इंजन सरकार का दावा प्रदेश में स्थिरता और विकास के नाम पर किया जा रहा है। हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद जहां भाजपा ने 10 में से 5 सीटों को बनाए रखा और शेष 5 कांग्रेस के खाते में गईं, इस विधान सभा चुनाव की तस्वीर भी कुछ ऐसी ही उभर कर आ रही है। विरोधी पार्टियां, विशेष रूप से कांग्रेस, सत्ता में वापसी करने के लिए तैय्यार हैं, और यह उनके लिए अब एक बड़ा अवसर बन रहा है।
उम्मीदवारों की लंबी सूची
1,031 उम्मीदवारों का मैदान में उतरना इस चुनाव की गंभीरता को दर्शाता है। प्रमुख चेहरों में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, राज्य मंत्री अनिल विज, पूर्व पहलवान विनेश फोगाट, और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा शामिल हैं। जनता इन चुनावों में अपने नेता को चुनने के लिए विवेक का इस्तेमाल करेगी। इसके अलावा कई क्षेत्रीय पार्टियां भी अपनी पहचान बनाते हुए नजर आ रही हैं।
आप और जेजेपी की रणनीति
आम आदमी पार्टी (AAP) इस बार कांग्रेस से गठबंधन नहीं कर सकी और चुनावी मैदान में स्वतंत्र रूप से किस्मत आजमा रही है। अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में पार्टी ने अपनी जमीनी योजनाओं को विस्तार देना शुरू कर दिया है। वहीँ जननायक जनता पार्टी (JJP) हाल ही में भाजपा से गठबंधन तोड़कर आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के साथ गठजोड़ कर चुकी है। यह गठबंधन छोटे जातियों और समुदायों के बीच अपनी पैठ बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।
क्षेत्रीय और जातिगत समीकरण
हरियाणा में चुनावी मार्फत पर क्षेत्रीय और जातिगत समीकरणों का काफी प्रभाव देखा जाता है। जाट सुधारक भूमि को लेकर उठने वाले मुद्दों का कांग्रेस और भाजपा दोनों ही ध्यान रखते हैं। इस बार इन समीकरणों को देखते हुए यह कयास लगाए जा रहे हैं कि कौन सी पार्टी धुले और निरीह वोटर अपनी ओर मोड़ने में सक्षम होगी।
इसके अलावा प्रदेश की अर्थव्यवस्था, बेरोजगारी और खेती के अहम मुद्दे भी अपना महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं जिन पर जनता मुख्य रूप से मतदान करेगी। इस चुनाव में कौन बाजी मारेगा यह समय बताएगा, लेकिन एजेंसियों की मानें तो हरियाणा चुनाव के लिए किए गए सभी प्रबंध मजबूत और सुरक्षित हैं, जिनके आधार पर निष्पक्ष और स्वच्छ प्रक्रिया की उम्मीद की जा रही है।
स्वास्थ्य और शिक्षा की दिशा में अवरोध
प्रदेश की स्वास्थ्य और शिक्षा सेवाएं समय-समय पर विरोधाभास का शिकार रही हैं। हालांकि सरकार ने इन क्षेत्रों में सुधार के अनेक दावे किए हैं, पर जनता का असंतोष अब भी बरकरार है। शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाने और स्वास्थ्य लाभों को बहुसंख्यक जनता तक पहुंचाने के प्रयास जनता के लिए जरूरी हैं।
कुल मिलाकर, हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 ने राज्य में एक नई राजनीतिक दिशा की ओर इशारा किया है। जनता इस बार अपने नेताओं से केवल आश्वासन नहीं, बल्कि ठोस परिणामों की अपेक्षा रख रही है। राज्य के भविष्य की यह तस्वीर अगले कुछ दिनों में ही साफ होगी।
द्वारा लिखित सुमेधा चौहान
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