आयकर रिटर्न – सम्पूर्ण गाइड
अगर आप आयकर रिटर्न फ़ाइल करने की सोच रहे हैं तो सही जगह पर आएँ। जब आयकर रिटर्न, व्यक्तियों या कंपनियों द्वारा अपने वित्तीय वर्ष की आय, खर्च और टैक्स देनदारी का विवरण देना की बात आती है तो कई सवाल उठते हैं – कौन‑से फॉर्म भरना है, कब भरना है, और डिजिटल माध्यम कैसे मदद कर सकता है। यह परिचय आपको इन सब सवालों के जवाब देने के साथ ही आगे के लेखों में गहराई से जाने की राह दिखाएगा।
आयकर फॉर्म और आईटीआर की भूमिका
आयकर रिटर्न के अंतर्गत सबसे महत्वपूर्ण घटक आईटीआर फॉर्म, विभिन्न आय वर्गों और स्रोतों के आधार पर सरकार द्वारा निर्धारित फॉर्म 1, 2, 3 आदि होते हैं। उदाहरण के तौर पर, वेतनभोगी के लिए फॉर्म ITR‑1 (Sahaj) सबसे आसान है, जबकि व्यवसायी या फ्रीलांसर को ITR‑3 उपयोग करना पड़ता है। एक महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि आईटीआर फॉर्म में फॉर्म 16, नियोक्ता द्वारा जारी किया गया वेतन आय प्रमाण पत्र अक्सर संलग्न करना अनिवार्य होता है। इससे रिटर्न को भरते समय आय, कटौतियों और टैक्स क्रेडिट की सही गणना होती है। यही कारण है कि आयकर रिटर्न में फॉर्म 16 का उपयोग करना एक अनिवार्य कदम है।
डिजिटल प्रोसेसिंग के युग में, आयकर रिटर्न को ऑनलाइन जमा करना अब मानक बन गया है। यहाँ डिजिटल टैक्स पोर्टल, इंडियाना आयकर विभाग (ITD) की आधिकारिक वेबसाइट जहाँ रिटर्न फाइलिंग, वैरिफिकेशन और रिटर्न स्टेटस चेक किया जा सकता है का उपयोग किया जाता है। इस पोर्टल के माध्यम से आप अपने फ़ॉर्म को पूर्व‑भरी हुई जानकारी के साथ अपलोड कर सकते हैं, त्वरित वैरिफिकेशन (OTP या डिजिटल सिग्नेचर) कर सकते हैं और तुरंत रिटर्न आईडी प्राप्त कर सकते हैं। डिजिटल पोर्टल न केवल समय बचाता है बल्कि दस्तावेज़ों की हार्ड‑कॉपी को भी घटाता है, जिससे ग़लतियों की संभावना कम होती है। एक और फायदा यह है कि पोर्टल पर रिटर्न फ़ाइल करने के बाद आयकर विभाग के द्वारा तुरंत रिफंड या अतिरिक्त टैक्स की गणना दिखा दी जाती है, जिससे आप अगले वित्तीय वर्ष की योजना बेहतर बना सकते हैं।
आइए अब बात करें वित्तीय वर्ष, जुलाई‑जून कैलेंडर जो आयकर कैलेंडर के रूप में उपयोग होता है की। आयकर रिटर्न की सभी प्रक्रिया इस वित्तीय वर्ष के अंत में समाप्त होती है; अर्थात् 31 मई तक सभी आय एवं कटौतियों को घोषित करना ज़रूरी है। वित्तीय वर्ष की डेडलाइन न केवल रिटर्न फाइलिंग को प्रभावित करती है, बल्कि देर से दाखिल करने पर पेनल्टी और ब्याज भी लगता है। इसलिए टैक्स प्लानिंग में वित्तीय वर्ष की समझ अत्यंत आवश्यक है – आप इस समय के भीतर निवेश, बीमा प्रीमियम, या सेक्शन 80C की छूट का अधिकतम लाभ उठा सकते हैं। जैसे ही वित्तीय वर्ष समाप्त होता है, अगला वर्ष की योजना बनाने के लिए रिफंड या देय टैक्स का विश्लेषण करना भी महत्वपूर्ण हो जाता है। इस तरह वित्तीय वर्ष आयकर रिटर्न के दायित्व को निर्धारित करता है और टैक्स प्लानिंग को दिशा देता है।
इन मुख्य बिंदुओं को समझने के बाद आप अब नीचे दिए गए लेखों में गहराई से डूब सकते हैं – चाहे वह फॉर्म‑फिलिंग के टिप्स हों, डिजिटल पोर्टल पर वैरिफिकेशन की प्रक्रियाएँ हों, या वित्तीय वर्ष के अंत तक उठाने योग्य टैक्स बचत के उपाय हों। हमारे संग्रह में विस्तृत जानकारी आपको पूरी तैयारी के साथ आयकर रिटर्न दाखिल करने में मदद करेगी।
आयकर रिटर्न जमा करने की अंतिम तिथि अब 16 सितंबर तक बढ़ा, कंपनियों को मिल रहा राहत

वित्त मंत्रालय ने आयकर रिटर्न की अंतिम तिथि को 31 जुलाई से 16 सितंबर 2025 तक बढ़ा दिया। नए फॉर्म और पोर्टल गड़बड़ी के कारण यह कदम उठाया गया। व्यक्तियों, एचयूएफ़, एओपी एवं बीओआई को 16 सितंबर तक फाइलिंग का समय है, जबकि ऑडिट‑आधारित व्यवसायों को 31 अक्टूबर और ट्रांसफर प्राइसिंग रिपोर्ट वाले को 30 नवंबर तक का समय मिलेगा। टैक्स ऑडिट रिपोर्ट की जमा करने की सीमा 30 सितंबर निर्धारित की गई। यह विस्तार कंपनियों और करदाताओं दोनों के लिए राहत का अवसर बनता है।
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