भारत‑नेपाल संबंध – इतिहास, वर्तमान और भविष्य
भारत और नेपाल का रिश्ता सिर्फ भूगोल नहीं, बल्कि भाषा, संस्कृति और लोगों के बीच गहरा जुड़ाव है। हर साल दो देशों की सीमाएँ खुली रहती हैं, लोग बिना वीज़ा के घूमते‑फिरते मिलते हैं, और कई पारिवारिक रिश्ते दोनों तरफ़ फैले होते हैं। इस पेज में हम इन बंधनों को आसान भाषा में समझेंगे, ताकि आप जान सकें क्यों ये रिश्ता इतना खास है।
इतिहासिक बंधन
भारत‑नेपाल का इतिहास प्राचीन काल से चलता आया है। गंगा और सरस्वती की धारा दोनों देशों को जोड़ती है, और कई राजवंशों ने एक-दूसरे के साथ गठजोड़ किया। 1950 में दोनो राष्ट्रों ने "हिंदुस्तान‑नेपाल मित्रता संधि" पर हस्ताक्षर किए, जिससे खुला सीमा का सिद्धांत बना रहा। इस वजह से आज भी भारत की सेना नेपाल में प्रशिक्षण करती है और कई भारतीय डॉक्टर, शिक्षक यहाँ काम करते हैं।
आर्थिक एवं रणनीतिक सहयोग
व्यापार के मामले में दोनों देशों ने 2023‑24 में लगभग $1.5 बिलियन का दो‑तरफ़ा व्यापार किया। नेपाल को भारत से पेट्रोलियम, बिजली और खाद्य सामग्री मिलती है, जबकि भारत को नेपाल से हाइड्रोपावर और चाय जैसी वस्तुएँ मिलती हैं। सीमा पर चल रहे छोटे‑छोटे विवादों के बावजूद, दोनों सरकारें आर्थिक कूटनीति को बढ़ावा देती रहती हैं।
पर्यटन भी एक बड़ा पुल है। काठमांडू से दिल्ली तक की ट्रेन यात्राएँ लोकप्रिय हैं, और कई भारतीय छात्र नेपाल में पढ़ाई के लिए आते हैं। भारत‑नेपाल पर्यटन योजना 2024 ने वैध पासपोर्ट वाले पर्यटकों को 30% छूट दी, जिससे आने वाले साल में यात्रा संख्या बढ़ने की उम्मीद है।
सुरक्षा क्षेत्र में दोनों देश मिलकर आतंकवाद और ड्रग ट्रैफ़िक पर नियंत्रण रखते हैं। भारत ने नेपाल के साथ सीमा सुरक्षा ट्रेनिंग कैंप चलाए हैं और संयुक्त अभ्यास आयोजित किए हैं। ये कदम न केवल सीमाओं को सुरक्षित बनाते हैं, बल्कि पारस्परिक विश्वास भी बढ़ाते हैं।
हाल ही में, जल संसाधन साझा करने पर दोनो पक्षों ने नया समझौता किया। नेपाल की पहाड़ी नदियों से भारत के कई जिलों में सिंचाई का काम हो रहा है, और इस साल दोनों देशों ने हाइड्रो‑पावर प्रोजेक्ट्स में 2 बिलियन डॉलर निवेश करने का वादा किया। यह सहयोग किसानों को बेहतर फसलें उगाने में मदद करेगा।
भारी बारिश या बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं के दौरान भी भारत‑नेपाल ने एक-दूसरे की सहायता की है। 2024 के बाढ़ मौसम में नेपाल ने भारतीय सेना से बचाव उपकरण मांगे और भारत ने तुरंत मदद भेजी। ऐसी सहयोगी भावना लोगों को भरोसा देती है कि मुश्किल समय में साथ खड़े रहेंगे।
भविष्य की बात करें तो दोनों देशों ने डिजिटल कनेक्टिविटी पर भी काम करने का इरादा जताया है। 5G नेटवर्क विस्तार, ई‑गवर्नेंस और क्रॉस‑बॉर्डर ई‑कॉमर्स को बढ़ावा देने के लिए एक मंच बनाया गया है। अगर यह योजनाएँ सफल होती हैं तो युवा पीढ़ी को नए रोजगार और व्यापार अवसर मिलेंगे।
समाज में सांस्कृतिक कार्यक्रम भी निरंतर चलते रहते हैं। दो साल में एक बार होने वाले "हिन्दुस्तान‑नेपाल सांस्कृतिक महोत्सव" में संगीत, नृत्य और कला के माध्यम से लोगों का आपसी समझ बढ़ता है। ऐसी पहलें रिश्ते को सिर्फ सरकारी दस्तावेज़ नहीं, बल्कि दिलों तक पहुंचाती हैं।
संक्षेप में, भारत‑नेपाल संबंध इतिहास की गहराई, आर्थिक सहयोग, सुरक्षा साझेदारी और सांस्कृतिक जुड़ाव का मिश्रण है। अगर आप इस विषय पर और पढ़ना चाहते हैं या नवीनतम खबरें देखना चाहते हैं तो हमारे टैग पेज के नीचे दिए गए लेखों को जरूर देखें। हर नई ख़बर यहाँ मिलती रहेगी, जिससे आपके पास हमेशा अपडेटेड जानकारी होगी।
नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में ओली की नियुक्ति पर पीएम मोदी ने दी बधाई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केपी शर्मा ओली को नेपाल के नए प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्ति पर बधाई दी। मोदी ने भारत और नेपाल के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों को और मजबूत करने की उम्मीद जताई। ओली ने नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (यूनिफाइड मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के नेता के रूप में चौथी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। ओली की सरकार नेपाली कांग्रेस पार्टी के समर्थन से बनाई गई है।
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