भरतनाट्यम: शास्त्रीय नृत्य की सच्ची कहानी
अगर आप कभी भारत के पारंपरिक नर्तकों को देखते हैं, तो आपको हाथ‑घुटने की लचक और चेहरे के भावों का अद्भुत खेल दिखेगा। वही है भरतनाट्यम – दक्षिण भारत से आया एक शास्त्रीय नृत्य रूप जो शरीर, संगीत और कहानियों को जोड़ता है। इस लेख में हम बात करेंगे इसकी जड़ें, मूलभूत तत्व और घर‑बाहर अभ्यास के आसान तरीके।
इतिहास और मूलभूत सिद्धांत
भरतनाट्यम का पहला उल्लेख 2वीं सदी ईस्वी के मंदिर शिल्पों में मिलता है, जहाँ नर्तकियों को देवी शिव की पूजा करते दिखाया गया है। समय‑के‑साथ यह राजदरबार और फिर सार्वजनिक मंच पर पहुंचा, लेकिन मूल रूप से यह देवताओं की भक्ति का माध्यम रहा।
इस नृत्य के तीन मुख्य स्तंभ हैं – अभंग (शारीरिक स्थितियां), अवस्थान (हाथ‑हावभाव) और नटरंज (भाव अभिव्यक्ति)। प्रत्येक घटक को सीखना जरूरी है, क्योंकि इनके बिना प्रदर्शन अधूरा लग सकता है। उदाहरण के लिए, एक साधारण ‘त्रिकोण बंध’ में पैर की स्थिति, घुटने का मोड़ और हाथ की ऊँचाई सब साथ चलते हैं; अगर किसी एक हिस्से में गलती हो तो संतुलन बिगड़ जाता है.
संगीत भी भरतनाट्यम के बिना नहीं चल सकता। थाप (ताल) को महसूस करना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कदम सीखना. ताल के साथ पैर की आवाज़ें, घुटनों की झटके और हाथों की लहरें एक सामंजस्य बनाती हैं जो दर्शक को मंत्रमुग्ध कर देती हैं.
प्रशिक्षण के व्यावहारिक टिप्स
अब बात करते हैं कैसे आप घर पर या कक्षा में इस नृत्य को सीख सकते हैं। सबसे पहले, बुनियादी अभंगों का अभ्यास करें – जैसे ‘त्रिकोण बंध’, ‘अष्टकोन बंध’ और ‘सामान्य बंध’। इन्हें दो‑तीन मिनट के छोटे सेट में दोहराएं, फिर धीरे‑धीरे समय बढ़ाएँ. अगर आप अपने पैर की ध्वनि सुनते नहीं हैं तो एक मैट या हल्की सॉफ़्ट सतह पर अभ्यास करें; इससे चोट से बचाव भी होगा.
दूसरा कदम अवस्थान सीखना है। हाथ के हर संकेत का अपना नाम और अर्थ होता है – ‘त्रिकोण’, ‘मण्डली’ या ‘धनुष’। आप इनको शीशे के सामने अभ्यास कर सकते हैं, ताकि आप देख सकें कि आपका हाथ ठीक से ऊपर‑नीचे हो रहा है या नहीं. शुरुआत में धीमी गति रखें, फिर संगीत के साथ तेज़ी बढ़ाएँ.
तीसरा और शायद सबसे मजेदार भाग नटरंज (भाव) का अभ्यास है। भावों को समझने के लिए किसी कहानी या पौराणिक कथा को चुनें – जैसे ‘अभिमन्यु की वीरता’ या ‘कृष्ण लीला’। अपने चेहरे पर वही भावना लाएं और हाथ‑हावभाव से उसे समर्थन दें. यह भाग रोज़ 5‑10 मिनट करने से आपका अभिव्यक्ति कौशल तेज़ होगा.
सप्ताह में दो बार वीडियो रेकॉर्डिंग करें और देखें कि कौन सा हिस्सा सुधारना है। खुद को देख कर अक्सर छोटे‑छोटे एरर्स पकड़ पाएंगे – जैसे कंधा ऊँचा होना या पैर का झुकाव गलत दिशा में जाना. इनको नोट करके अगली प्रैक्टिस में ठीक करना आसान रहेगा.
अंत में, सही गुरु या ऑनलाइन क्लास चुनें। भरतनाट्यम सीखने के लिए मार्गदर्शन जरूरी है; एक अनुभवी शिक्षक आपकी त्रुटियों को तुरंत पकड़ लेगा और उचित सुधार बताएगा. अगर आप स्वयं सीख रहे हैं तो भरोसेमंद YouTube चैनल और विस्तृत ट्यूटोरियल देखें, लेकिन हमेशा मूल सिद्धांतों को दोहराते रहें.
सारांश में कहा जाए तो भरतनाट्यम सिर्फ नाच नहीं, यह संस्कृति, इतिहास और व्यक्तिगत विकास का मिश्रण है. बुनियादी अभंगों से शुरू कर, हाथ‑हावभाव और भावनाओं तक धीरे‑धीरे बढ़ते हुए आप इस कला को अपने जीवन का हिस्सा बना सकते हैं.
भारतनाट्यम की महान हस्ती यामिनी कृष्णमूर्ति का 84 वर्ष की आयु में निधन

प्रसिद्ध भरतनाट्यम नृत्यांगना यामिनी कृष्णमूर्ति का दिल्ली के अपोलो अस्पताल में शनिवार को निधन हो गया। वे 84 वर्ष की थीं। उन्होने अपना जीवन भरतनाट्यम नृत्य की रक्षा और प्रचार में समर्पित किया था। उनके निधन पर नृत्य समुदाय और उनके प्रशंसकों ने शोक व्यक्त किया है।
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