भूस्खलन क्या है? समझिए आसान भाषा में
जब भारी बारिश या तेज़ बवंडर से जमीन की सतह गीली हो जाती है, तो मिट्टी का वजन बढ़ जाता है और अगर वह पहाड़ी ढलान पर बैठा हो तो नीचे फिसल सकता है। यही प्रक्रिया को हम भूस्खलन कहते हैं। अक्सर लोग इसे सिर्फ ‘पहाड़ गिरना’ समझते हैं, लेकिन असल में यह धरती की सतह से बड़ी मात्रा में मिट्टी, पत्थर और पानी का एक साथ बहना होता है।
भूस्खलन के पीछे कई कारण हो सकते हैं – प्राकृतिक या मानवीय. बारिश, बर्फ़ पिघलना, भूकंप, जलस्रोतों का बदलना, या फिर जंगल काटना, सड़क बनाना जैसी गतिविधियाँ धरती की स्थिरता को कम कर देती हैं। जब ये सब मिलते हैं तो अचानक ही पहाड़ी ढलान कमजोर पड़ जाती है और नीचे गिरने लगती है.
भूस्खलन के कारण
1. **अत्यधिक वर्षा** – भारत में मानसून का मौसम सबसे बड़ा ट्रिगर है। जब दो‑तीन दिन लगातार 100 mm से अधिक बारिश होती है, तो मिट्टी की नमी स्तर बढ़ जाता है और ढलान अस्थिर हो जाती है.
2. **जंगलों की कटाई** – पेड़ जड़ों द्वारा जमीन को पकड़ते हैं। अगर पेड़ काट दिए जाएँ तो धरती का समर्थन ख़त्म हो जाता है, जिससे धारा आसान हो जाती है.
3. **अधिवासीय निर्माण** – पहाड़ी क्षेत्रों में बिना उचित योजना के घर, सड़क या डैम बनाना अक्सर ढलानों को कमजोर कर देता है। इससे छोटी‑छोटी दरारें बड़े फटनों में बदल सकती हैं.
4. **भूकंपीय गतिविधि** – हल्का‑से‑हल्का झटका भी अगर पहले से ही अस्थिर धरती पर पड़ता है तो भूस्खलन को जन्म दे सकता है.
रोकथाम और बचाव उपाय
भूस्खलन पूरी तरह रोकना मुश्किल है, लेकिन जोखिम घटाने के कई आसान कदम हैं। अगर आप पहाड़ी इलाकों में रहते या यात्रा कर रहे हैं तो इन बातों को याद रखें:
- स्थानीय चेतावनी सुनें – मौसम विभाग और स्थानीय प्रशासन की अलर्ट्स पर ध्यान दें. भारी बारिश या बाढ़ का पूर्वानुमान आने पर बाहर निकलने से बचें.
- बिना मंजूरी के निर्माण न करें – अगर जमीन को स्थिर करने वाले उपाय नहीं किए गए हों तो कोई भी नया घर बनाना जोखिम भरा है.
- पेड़ लगाएँ – अपनी संपत्ति या समुदाय में अधिक पेड़ लगाने से जड़ों की पकड़ बढ़ती है और ढलान मजबूत होती है.
- नदी किनारे के बंधन ठीक रखें – अगर आप नदी के पास रहते हैं तो जलनिकाय द्वारा बनाए गए बाँध, कटाव नियंत्रण संरचनाओं को नुकसान नहीं पहुंचने दें.
- आपातकालीन योजना बनाएं – निकासी रास्ते, सुरक्षित स्थान और जरूरी सामान (टॉर्च, पानी, दवाई) हमेशा तैयार रखें. परिवार के साथ मिलकर एक आसान एग्जिट प्लान बनायें.
सरकार भी कई कदम उठा रही है: भू-सुरक्षा अभियांत्रिकी, चेतावनी प्रणाली, और पुनर्वास योजनाओं से प्रभावित क्षेत्रों को मदद पहुंचाई जा रही है. लेकिन सबसे बड़ी सुरक्षा खुद का सतर्क रहना है। अगर आप देखते हैं कि ढलान पर दरारें बढ़ रही हैं या अचानक पानी की धारा तेज़ हो गई है, तो तुरंत स्थानीय अधिकारी को रिपोर्ट करें.
भूस्खलन एक प्राकृतिक घटना है, लेकिन हमारी छोटी‑छोटी तैयारियों से जीवन बचाया जा सकता है। अगले बार जब मौसम के बारे में खबर सुनें, तो सिर्फ बात नहीं, बल्कि अपने और अपने आसपास वालों की सुरक्षा का भी सोचें।
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