डायाबिटीज – क्या है और कैसे बचें

अगर आपके रक्त में शुगर अक्सर हाई रहती है तो आपको डायाबिटीज़ हो सकता है. यह बीमारी सिर्फ बुजुर्गों तक सीमित नहीं, आज के कई युवा भी इसे लेकर परेशान हैं. आसान शब्दों में कहा जाए तो शरीर इंसुलिन को सही तरह से इस्तेमाल नहीं कर पाता और ब्लड‑शुगर बढ़ जाता है.

डायाबिटीज़ की मुख्य वजहें

ज्यादा तले हुए भोजन, मीठे पेय, बैठी‑बैठी ज़िन्दगी और जेनेटिक कारण अक्सर इस रोग को जन्म देते हैं. अगर आपका वजन आदर्श से अधिक है तो खतरा दो गुना हो जाता है. छोटी-छोटी बदलाओं से भी आप बड़ी राहत पा सकते हैं – जैसे रोज़ाना 30 मिनट चलना, तले हुए भोजन कम करना और फाइबर‑रिच सब्जियाँ खाना.

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अल्का समाचार पर हर दिन डायाबिटीज़ से जुड़ी नई जानकारी मिलती है. उदाहरण के तौर पर, पिछले हफ्ते एक शोध ने बताया कि रोज़ाना 15 मिनट की तेज वॉक रक्त‑शुगर को 10% तक घटा सकती है. इसी तरह, नए दवाओं का परीक्षण चल रहा है जो इन्सुलिन रिस्पॉन्स को बेहतर बनाते हैं.

अगर आप अभी डायाबिटीज़ के रोगी हैं तो डॉक्टर की सलाह मानना ज़रूरी है. नियमित ब्लड‑शुगर टेस्ट, सही डोज़ में दवाई लेना और भोजन टाइमिंग का पालन करना सबसे असरदार उपाय हैं. कई बार लोग भूल जाते हैं कि नाश्ते को स्किप करने से बाद में शुगर स्पाइक हो सकता है.

आहार की बात करें तो कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले फूड – जैसे जौ, बाजरा, दालें और हरी पत्तेदार सब्जियाँ चुनें. मीठा खाने का मन लगे तो फल जैसे सेब या संतरा खाएं, ये प्राकृतिक शुगर को धीरे‑धीरे रिलीज़ करते हैं.

एक आसान ट्रिक है कि आप अपने प्लेट में आधी जगह सलाद और एक चौथाई प्रोटीन रखें, बाकी हिस्से में कम स्टार्च वाले कार्ब्स. इस तरह का संतुलन ब्लड‑शुगर को स्थिर रखता है और पेट भी भरता है.

अगर आपको वजन घटाने की जरूरत है तो छोटे-छोटे लक्ष्य बनाएं – जैसे एक महीने में 2‑3 किलो। धीरे‑धीरे बदलें, अचानक डाइट नहीं छोड़ें. यह तरीका दीर्घकालिक सफलता देता है.

स्ट्रेस भी शुगर को बढ़ाता है. योग, प्राणायाम या बस गहरी साँस लेना आपके हार्मोन लेवल को ठीक रखता है. रोज़ 5‑10 मिनट की मेडिटेशन से फोकस बेहतर होता है और ब्लड‑शुगर पर नकारात्मक असर कम होता है.

अल्का समाचार के टैग पेज ‘डायाबिटीज’ में आप इन टिप्स के अलावा विशेषज्ञों के इंटरव्यू, नई दवा रिलीज़ और रोगी कहानियों को भी पढ़ सकते हैं. हर लेख आपको व्यावहारिक कदम देता है जिससे आप अपनी सेहत पर कंट्रोल पा सकें.

याद रखें – डायाबिटीज़ का प्रबंधन रोज़मर्रा की छोटी‑छोटी आदतों से शुरू होता है. सही जानकारी, नियमित जांच और स्वस्थ जीवनशैली को अपनाकर आप इस बीमारी को अपने ऊपर हावी नहीं होने देंगे.

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कटहल न सिर्फ स्वादिष्ट होता है बल्कि डायबिटीज, हार्ट, स्किन और पाचन जैसी समस्याओं में फायदेमंद भी है। इसमें लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स, पोटैशियम, फाइबर, विटामिन सी और मैग्नीशियम मिलता है, जो शुगर, ब्लड प्रेशर, हड्डियों और इम्यूनिटी के लिए अच्छा है। पारंपरिक चिकित्सा में भी इसके औषधीय गुण पहचाने गए हैं।

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