G7 शिखर सम्‍मेलन – नवीनतम अपडेट और मुख्य बातें

क्या आप जानते हैं कि इस हफ़्ते G7 देशों ने फिर से एकत्रित होकर विश्व के कई अहम मुद्दों पर चर्चा की? अगर नहीं, तो चलिए सीधे बात करते हैं—कौन‑से देश शामिल हैं, कहाँ मीटिंग हुई, और सबसे महत्वपूर्ण क्या तय हुआ।

सत्र के मुख्य एजेण्डा

पिछले दो दिनों में G7 ने चार बड़े विषयों को प्राथमिकता दी: आर्थिक स्थिरता, जलवायु परिवर्तन, तकनीकी सहयोग और सुरक्षा। पहले बिंदु पर, सभी देश सहमत हुए कि वैश्विक ब्याज दरों की अस्थिरता छोटे‑मोटे बाजारों को नुकसान पहुँचा रही है, इसलिए एक सामूहिक फ़ंड बनाना प्रस्तावित किया गया। यह फ़ंड विकासशील देशों के लिए कर्ज़ आसान बनाने में मदद करेगा।

जलवायु पर बात करते हुए, नेता‑जनरल ने कार्बन उत्सर्जन को 2030 तक आधा करने का लक्ष्य फिर से दोहराया। खास तौर पर उन्होंने हाइड्रोजन ऊर्जा और सौर पावर के लिए बड़े निवेश की घोषणा की। अगर आप इस पहल को देख रहे हैं तो समझिए कि आने वाले सालों में हर घर में सस्ते सॉलर पैनल लग सकते हैं।

तकनीकी सहयोग के हिस्से में, G7 ने एआई और साइबर‑सुरक्षा पर एक अंतरराष्ट्रीय मानक बनाने का इरादा जताया। इसका मतलब है कि भविष्य में आपके मोबाइल या लैपटॉप की सुरक्षा अधिक भरोसेमंद होगी, क्योंकि बड़े देशों के बीच डेटा शेरिंग नियम सख़्त होंगे।

अंत में, सुरक्षा विषय को लेकर समूह ने रूषिया‑चीन संबंधों को लेकर एक सामूहिक बयान जारी किया, जिसमें क्षेत्रीय स्थिरता और मानवाधिकारों की रक्षा पर ज़ोर दिया गया। यह बयान अक्सर मीडिया के शीर्ष समाचार बन जाता है क्योंकि इसका असर सीधे हमारे रोज़मर्रा के जीवन में दिखता है—जैसे कि विदेश नीति या यात्रा प्रतिबंधों में बदलाव।

भारत की भूमिका और संभावित प्रभाव

भले ही भारत G7 का सदस्य नहीं है, पर इस शिखर से उसके लिए कई मौके निकलते हैं। पहले तो आर्थिक फ़ंड के तहत विकासशील देशों को कर्ज़ आसान बनाने में भारत को भागीदार मानेंगे, जिससे हमारे बुनियादी ढाँचे की परियोजनाओं पर कम ब्याज वाला वित्त मिलेगा।

दूसरा, जलवायु पहल में भारत को सौर और पवन ऊर्जा के बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग मिल सकता है। अगर हम इस अवसर को पकड़ें तो नवीकरणीय ऊर्जा का हिस्सा तेज़ी से बढ़ेगा, और बिजली की कीमतों पर भी असर पड़ेगा।

तकनीकी मानकों में भारत के स्टार्ट‑अप और आईटी सेक्टर को नए एक्सपोर्ट बाजार मिल सकते हैं। एआई नीति बनाते समय यदि हम अपने नियमों को वैश्विक मानकों के साथ जोड़ें, तो हमारी कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने का बड़ा बूस्ट मिलेगा।

सुरक्षा पहल में भारत की भूमिका अभी भी विकसित हो रही है, लेकिन अगर हम G7 की साइबर‑सुरक्षा रणनीति से सीखें और अपने डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर को सुदृढ़ बनाएं तो भविष्य में बड़े साइबर‑आक्रमणों से बचाव आसान होगा।

संक्षेप में, G7 शिखर सम्‍मेलन सिर्फ सात देशों की मीटिंग नहीं है—यह एक ऐसा मंच है जहाँ विश्व के प्रमुख निर्णय हमारे जीवन पर असर डालते हैं। इसलिए इस summit को नजरअंदाज न करें; हर नई घोषणा का मतलब आपके रोज़मर्रा के खर्चों, रोजगार और पर्यावरण से जुड़ी संभावनाएँ हो सकती हैं।

जियोर्जिया मेलोनी का G7 शिखर सम्मेलन में 'नमस्ते': भारत-इटली संबंधों की नई दिशा

जियोर्जिया मेलोनी का G7 शिखर सम्मेलन में 'नमस्ते': भारत-इटली संबंधों की नई दिशा

इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी ने G7 शिखर सम्मेलन में नेताओं का स्वागत भारतीय अभिवादन 'नमस्ते' से किया। यह कदम उनके और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गहरे संबंधों का प्रतीक माना जा रहा है। मेलोनी और मोदी के मजबूत रिश्तों ने भारत-इटली संबंधों को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।

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