न्यायिक हिरासत: समझें क्यों और कैसे होते हैं बंदीपन के नियम

जब किसी को पुलिस ने पकड़ लिया और अदालत में पेश किया, तो अक्सर वह जेल या थाने में रख दिया जाता है। इसे ही न्यायिक हिरासत कहते हैं। आम बोलचाल में हम इसे ‘हिरासत’ कह देते हैं, लेकिन कानूनी तौर पर इसके कई पहलू होते हैं जिन्हें जानना जरूरी है।

कब लगती है न्यायिक हिरासत?

आमतौर पर जब कोई व्यक्ति पर कोई अपराध का आरोप लगता है और पुलिस उसे तुरंत रिहा नहीं कर पाती, तो कोर्ट से ‘हिरासत’ की आदेश मिलती है। अदालत यह तय करती है कि आरोपी को जमानत दी जाए या जेल में रखे। अगर जमानत नहीं मिली, तो वह हिरासत में रहता है जब तक केस का फैसला न हो जाए।

हिरासत में अधिकार और दायित्व क्या हैं?

हिरासत में रहने वाले को कुछ बुनियादी अधिकार मिलते हैं – जैसे वकील से मिलने का, परिवार से संपर्क करने का, और स्वास्थ्य की देखभाल का। साथ ही उसे जेल के नियमों का पालन करना पड़ता है, जैसे समय पर उठना‑सोना, काम या पढ़ाई में हिस्सा लेना अगर उपलब्ध हो तो। इन अधिकारों को ‘हिरासत अधिकार’ कहा जाता है और इन्हें अदालत भी निगरानी करती है।

अगर हिरासत के दौरान किसी तरह की अनियमितता या अत्याचार होता है, तो व्यक्ति शिकायत दर्ज करा सकता है। कई बार समाचार में हम ऐसे केस देखते हैं जहाँ जेल में बर्बर व्यवहार की खबर आती है, लेकिन कोर्ट तुरंत जांच शुरू कर देता है और जिम्मेदारों को सजा दिलाता है।

हिरासत के दौरान दायर होने वाले मुख्य दस्तावेज़ ‘जमानत प्रार्थना पत्र’ और ‘हिरासत आदेश’ होते हैं। इन्हें पढ़कर व्यक्ति समझ सकता है कि उसे कब तक जेल में रहना पड़ेगा और किन शर्तों पर रिहा किया जा सकता है।

हाल ही में कुछ हाई‑प्रोफ़ाइल केसों में कोर्ट ने जल्द निर्णय देकर कई आरोपी को जमानत दी, जिससे जनता को आश्चर्य भी हुआ और न्याय व्यवस्था की गति का पता चला। ऐसे उदाहरण बताते हैं कि हिरासत केवल जेल भरने का नाम नहीं, बल्कि अदालत के फैसले पर निर्भर करती है।

यदि आप या आपका कोई जानकार हिरासत में है, तो सबसे पहले वकील से मिलें। वकील केस की स्थिति देख कर जमानत या रिहाई के लिए याचिका दायर कर सकता है। साथ ही जेल में उपलब्ध स्वास्थ्य और सुरक्षा सुविधाओं का भी ध्यान रखें।

संक्षेप में, न्यायिक हिरासत एक कानूनी प्रक्रिया है जो आरोपी को कोर्ट के सामने लाती है और उसके अधिकारों की रक्षा करती है। इसे समझना हर नागरिक के लिए जरूरी है ताकि जब जरूरत पड़े तो सही कदम उठाया जा सके।

अरविंद केजरीवाल की न्यायिक हिरासत 20 अगस्त तक बढ़ी: दिल्ली शराब घोटाला मामला

अरविंद केजरीवाल की न्यायिक हिरासत 20 अगस्त तक बढ़ी: दिल्ली शराब घोटाला मामला

दिल्ली की एक अदालत ने 8 अगस्त 2024 को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की न्यायिक हिरासत 20 अगस्त तक बढ़ा दी है। केजरीवाल को सीबीआई की ओर से दर्ज भ्रष्टाचार मामले में अदालत द्वारा प्रस्तुत किया गया था। अदालत 12 अगस्त को सीबीआई द्वारा दाखिल पूरक आरोप पत्र पर विचार कर सकती है।

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