सरकार गठन – क्या हो रहा है?
हर चुनाव के बाद देश में नई सरकार की बात होती है. लोग जानना चाहते हैं कि किसे प्रधानमंत्री बनेगा, कौन‑कौन से मंत्री होंगे और गठबंधन कैसे बनता है. यही कारण है कि "सरकार गठन" टैग पर रोज़ नई ख़बरें आती रहती हैं.
सरकार बनने की प्रक्रिया
पहले वोट गिने जाते हैं. फिर सबसे ज्यादा सीट वाले पार्टी या गठबंधन को राष्ट्रपति से सरकार बनाने का अधिकार मिलता है. अगर कोई एक ही पार्टी ने बहुमत नहीं जीता तो वह दूसरे पार्टियों के साथ समझौते करता है, जिसे गठबंधन कहा जाता है. इस समझौते में मंत्री पदों की बंटवारा और नीति‑निर्धारण शामिल होता है.
गठबंधन बन जाने पर राष्ट्रपति को मंत्रिमंडल का नाम बताने वाला पत्र मिलता है. उसके बाद नई सरकार अपने काम शुरू करती है – बजट पेश करना, नयी नीतियां बनाना या मौजूदा योजनाओं को आगे बढ़ाना.
हाल के प्रमुख बदलाव
पिछले महीने नरेंद्र मोदी ने अपना कैबिनेट रीशफल किया. कुछ नए चेहरों ने मंत्री पद संभाला और कई पुराने मंत्रियों को भी अलग किया गया. इस कदम का मुख्य मकसद युवा ऊर्जा लाना और विकास‑परक कामों पर फोकस बढ़ाना था.
उत्तरी भारत में हाल ही में एक बड़े राज्य चुनाव हुए. जीत के बाद नई सरकार ने पहले 30 दिनों में दो बड़ी योजनाएं लॉन्च की – शिक्षा सुधार और किसान राहत पैकेज. इन कदमों से प्रदेश के विकास को तेज़ी मिलने की उम्मीद है.
केंद्रीय स्तर पर भी कई राज्यों में गठबंधन बदल रहा है. कुछ छोटे पार्टियों ने बड़े राष्ट्रीय दलों के साथ मिलकर नया अलायंस बनाया, जिससे संसद में शक्ति का संतुलन बदला. इस बदलाव से नीति‑निर्धारण में नई ध्वनि सुनाई देगी.
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सरकार गठन सिर्फ राजनेताओं की बात नहीं है; इसका असर आम लोगों के रोज़मर्रा जीवन में भी पड़ता है – चाहे वो नई नौकरियों की घोषणा हो या बुनियादी सुविधाओं का विस्तार. इसलिए इस विषय को समझना हर नागरिक के लिए जरूरी है.
आगे आने वाले हफ़्तों में हम और गहराई से बताएँगे कि कैसे नए मंत्रियों ने अपने‑अपने विभाग में काम शुरू किया, कौन‑सी नीति बदल रही है और आपके क्षेत्र पर इसका क्या असर पड़ेगा. जुड़े रहें, क्योंकि "सरकार गठन" टैग पर हर अपडेट आपका इंतज़ार कर रहा है.
उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर में सरकार गठन का दावा प्रस्तुत किया

नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर के राज भवन में लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा से मुलाकात की, जहां उन्होंने सरकार बनाने का दावा प्रस्तुत किया। उनके साथ नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, सीपीआई (एम) और स्वतंत्र उम्मीदवारों का समर्थन पत्र शामिल था। इस कदम ने 2018 के बाद से जम्मू-कश्मीर में पहली बार निर्वाचित सरकार का रास्ता साफ किया।
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